अशोक वर्धन भार्गव अपने जीवन के 74 बसंत देख चुके हैं। भागर््व बताते हैं कि रिटायरमेंट के बाद मुझे घर पर खाली बैठना अच्छा नहीं लगा। ऐसे में घर पर ही कैलीग्राफी, हैंडराइटिंग, मोनोग्राफी की क्लॉसेज लेना शुरू कर दिया। मेरे पास स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थी हैंडराइटिंग सीखने या सुधार के उद्देश्य से आते हैं। साथ ही परीक्षाओं की तैयारी कर रहे स्टूडेंट्स भी आते हैं।
मोहमद मुस्तफा 66 वर्ष पूरे कर चुके हैं। मुस्तफा कहते हैं कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठा रहा हूं। हक की लड़ाई के लिए जुट जाता हूं। अभी कर्मचारियों के अधिकारों को लेकर आवाज बुलंद कर रहा हूं। उनको पेंशन दिलवाने के लिए संघर्ष का हिस्सा हूं। मांगों को लेकर पत्र लिखता हूं। बात नहीं बनती तो धरने पर बैठता हूं। समस्या का हल होने के बाद ही उठता हूं।