स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक व संयुक्त सचिव पवन आरोड़ा ने लाहोटी को जारी किए नोटिस में बताया कि उनके कार्यकाल में अनियमितता की शिकायत मिल थी। इस पर राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 सपठित धारा 40 के तहत मुख्य लेखाधिकारी से जांच करवाई गई। इसमें लाहोटी के खिलाफ अनियमितता के पांच आरोप लगाए गए हैं।
यह लगे हैं आरोप
1. निगम में पर्याप्त वाहन होने के बावजूद निजी सुख-सुविधा के लिए दो इनोवा कार की खरीद की। इस पर 46 लाख 24 हजार 736 रुपए का अनावश्यक व्यय कर निगम को नुकसान पहुंचाया।
2. नगर पालिका अधिनियम 2009 के तहत नए वाहनों की खरीद से पहले राज्य सरकार से अनुमोदन जरूरी था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। 3. निगम के बजट में वाहन खरीद का प्रावधान किए बिना और निगम बोर्ड से मंजूरी लिए बिना ट्रक, ट्रैक्टर, ट्रॉली खरीद के मद से दो वाहन खरीद किए गए।
4. स्वायत्त शासन विभाग के आदेश के तहत महापौर और आयुक्त के लिए निविदा दरों के तहत किराए पर वाहन लिए जा सकते हैं। वहीं कार खरीद के समय निगम गैराज में 7 वाहन मौजूद थे। महापौर के पास 2015 की खरीद वाली टाटा सफारी थी, जो 6 फरवरी 2017 तक सिर्फ 41061 किलोमीटर चली हुई थी। वहीं आयुक्त को आवंटित स्विफ्ट डिजायर मई 2019 तक सिर्फ 38274 किलोमीट चली हुई है। मिनिमम र्सिवस एबिलिटी पीरियड पूरा किए बिना दो वाहन खरीदना गलत है।
5. वाहनों के विशिष्ठ नंबर के लिए 11 हजार रुपए का अतिरिक्त भुगतान कर निगम को नुकसान पहुंचाया गया। कांग्रेस हमारी आवाज नहीं दबा सकती
विधायक व पूर्व महापौर अशोक लाहोटी ने कहा कि इस तरह के नोटिस से कांग्रेस सरकार हमारी आवाज को दबा नहीं सकती। राजस्थान में सरकार फेल हो चुकी है। लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा है। सडक़ें टूटी हुई है। नगर निगम चुनाव में हार दिख रही है। राष्ट्रगान को बंद करवा दिया। यह लोग वंदे मातरम, भारत माता की जय का विरोध करते हैं। इस तरह के राष्ट्रद्रोहियों के नोटिस से हम घबराने वाले नहीं है। जनता का ध्यान भटकाने के लिए इस तरह के नोटिस दिए जा रहे हैं। कोई भी वाहन खरीद का अधिकार निगम के आयुक्त, गैराज समेत अन्य अधिकारियों का रहता है। इसका जवाब उनसे मांगना चाहिए। वाहन मैं घर नहीं ले गया, यदि वह नियम विरुद्ध है तो फिर उन्हें चलाया क्यों जा रहा है। नगर निगम प्रशासन जनता की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है।