अस्थायी फैक्ट्री में मिठाई बनाने और बेचने के लिए कोई जीएसटी या टैक्स नहीं देना होता। पैकिंग पर कोई ब्रांड और फर्म नहीं होने के कारण भी सरकारी कार्रवाई से भी बच जाते हैं। इनमें मिठाई बनाने में मिलावटी मावा और अन्य सस्ते माल का इस्तेमाल किया जाता है। – सुरेश सैनी, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, जयपुर व्यापार महासंघ
मिठाई के प्रतिष्ठित दुकानदारों ने मिलावट के मामलों को देखते हुए स्वयं मावा की फैक्ट्री खोल ली हैं। सरस और अमूल जैसी सरकारी डेयरियों का गुणवत्तापूर्ण दूध आसानी से मिल जाता है। – नवीन हरितवाल, मिठाई कारोबारी
जयपुर. अगर आप त्योहार पर मिठाई खरीद रहे हैं तो जांच पड़ताल अवश्य कर लें। वजह, मिलावटखोर सक्रिय हैं और मिलावटी मावा से बनी मिठाइयां धड़ल्ले से बिक रही हैं। चिकित्सा विभाग की टीमों की कार्रवाई में इसका खुलासा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि राजधानी में दूध की आवक यथावत है और मावा की खपत तीन गुना तक पहुंच गई है। ऐसी स्थिति में मावा की उपलब्धता व मिठाई की गुणवत्ता संदेह के घेरे में है। मिष्ठान कारोबारियों के अनुसार नवरात्र से दिवाली तक एक माह के त्योहारी सीजन में जयपुर में 30 से 40 हजार किलोग्राम मावे की खपत होती है।