ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि अतिरिक्त माह होने के कारण इसे मलिन माना गया और यही कारण है कि इसे मल मास कहा जाता है। आमतौर पर इस मास के दौरान प्रमुख संस्कार जैसे नामकरण, यज्ञोपवीत, गृहप्रवेश, जेवर आदि कीमती चीजों की खरीदी आदि कार्य नहीं किए जाते हैं। इसे अधिक मास भी कहा जाता है।
अधिक मास को श्रीराम के एक अन्य नाम पुरूषोत्तम मास के नाम से भी पुकारा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार देवताओं के आग्रह पर विष्णुजी ने अधिक मास के अधिपति स्वामी बनना स्वीकार किया। अधिक मास में किए गए धार्मिक कार्यों का ज्यादा फल मिलता है। माना जाता है कि इस माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है।
अधिक मास को श्रीराम के एक अन्य नाम पुरूषोत्तम मास के नाम से भी पुकारा जाता है। ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार देवताओं के आग्रह पर विष्णुजी ने अधिक मास के अधिपति स्वामी बनना स्वीकार किया। अधिक मास में किए गए धार्मिक कार्यों का ज्यादा फल मिलता है। माना जाता है कि इस माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है।