इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर अब तक का सबसे बड़ा हमला बोला है। उन्होंने सचिन को साफ तौर पर गद्दार बताते हुए सवाल उठाया कि प्रदेश का अध्यक्ष रहते हुए जिसने पार्टी से बगावत की वह कैसे सीएम बन सकता है? अपने साक्षात्कार में गहलोत ने कई खुलासे भी किए।
सचिन पायलट गद्दार, कभी मुख्यमंत्री नहीं बन पाएंगे: अशोक गहलोत
पच्चीस सितम्बर को बगावत नहीं हुई थी। जबकि पहले एक रिबेल हुआ था। 34 दिन तक 90 एमएलए होटल में रहे थे। उन्होंने सरकार बचाने में सहयोग किया। उनके बिना सरकार बच नहीं सकती थी। वह हाईकमान के लॉयलिस्ट थे। बिना हाईकमान के कोई मुख्यमंत्री सरकार नहीं बचा सकता है अगर हाईकमान आशीर्वाद देती है तो ही लोग साथ रहते हैं। निजी मित्रों के तौर पर उसके पास 10- 15 विधायक हो सकते हैं।
अशोक गहलोत से बोले बाबा- किसी के चक्कर में मत पड़ना, वापस CM बनना है…
सीएम बोले.. सचिन पायलट को सीएम बनाने की बात फैलने पर विधायक नाराज हुए। पायलट ने खुद भी इस प्रकार का व्यवहार किया वह मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। उन्होंने कई जगह टेलीफोन किए कि ऑब्जर्वर आएंगे। आप हाईकमान पर छोड़ देना। इससे विधायकों को लगा कि आज एक लाइन का प्रस्ताव आ रहा है, कल शपथ हो रही है। इस भ्रम में सभी लोग इकट्ठे हो गए।
इस प्रश्न पर कि शायद हाइकमान ही शायद पायलट के समर्थन में विधायकों को समर्थन चाहता था… गहलोत बोले कि पायलट को सीएम नहीं बना सकते। जिस आदमी के पास दस विधायक नहीं, जिसने बगावत की। जिसको गद्दार ही नाम दिया गया है…पार्टी से गद्दारी किए हुए व्यक्ति को कैसे स्वीकार किया जा सकता है। विधायक कैसे सहन कर सकते हैं पायलट को। हम जानते हैं कि 34 दिन कैसे निकाले। हमे राजभवन पर धरना देना पड़ा। उस वक्त हमने सरकार बचाने का काम किया।
सचिन के भाजपा से संपर्क नहीं होने संबंधी बयान पर सीएम ने कहा कि पायलट इस बात से इनकार नहीं कर सकते। पूरा खेल ही उनका था। मेरे पास इसका सबूत है कि 10—10 करोड़ रुपए बांटे गए। यह पता नहीं कि किसको पांच मिले, किसको दस। दिल्ली में बीजेपी के दफ्तर से ये पैसे उठाए गए थे। 50 साल के इतिहास में लोग एआईसीसी जा कर बैठे हैं। मैडम से शिकायत की। लेकिन यह पहला केस था कि मानेसर में जाकर बैठ गए। धर्मेंद्र प्रधान खुद मानेसर आते थे। हमारे दो निर्दलीय विधायक भी थे, जिन्हें अलग होटल में रोका गया।