बता दें, अलवर नगर निगम में यूडी टैक्स का टेंडर लेने वाली कंपनी के प्रतिनिधि ने युवराज मीणा के खिलाफ एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई थी। शिकायत में कहा गया कि राजस्व अधिकारी डेटा कलेक्शन रिपोर्ट को वेरिफाई करने के बदले रिश्वत की मांग कर रहा है। शिकायत के आधार पर एसीबी ने जाल बिछाया और आरोपी को पकड़ने में सफलता हासिल की।
अधिकारी और दलाल दोनों गिरफ्तार
एसीबी के एएसपी अभिषेक पारीक ने बताया कि युवराज मीणा ने कंपनी से फाइल वेरिफिकेशन के बदले पांच लाख रुपये की रिश्वत मांगी थी। मंगलवार को कंपनी के प्रतिनिधि ने विधानसभा के गेट के पास तीन लाख रुपये दिए। युवराज मीणा अपनी कार से एक प्राइवेट व्यक्ति को साथ लेकर आया, जिसने गेट पर पैसे लिए। जैसे ही पैसे का आदान-प्रदान हुआ, एसीबी की टीम ने दोनों को पकड़ लिया। यह भी पढ़ें
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युवराज मीणा कैसे हुआ ट्रैप?
बताते चलें कि युवराज मीणा ने अपने साथ एक दलाल मुकेश को लेकर विधानसभा गेट के पास रिश्वत लेने की योजना बनाई थी। जैसे ही कंपनी के प्रतिनिधि ने तीन लाख रुपये दिए, एसीबी ने मुकेश को विधानसभा गेट पर पकड़ा और कुछ ही दूरी पर घुमाव के पास युवराज मीणा को गिरफ्तार कर लिया।इस वजह से मांगी थी रिश्वत
ACB के अधिकारियों के अनुसार, युवराज मीणा कंपनी की फाइल को आगे बढ़ाने में जानबूझकर देरी कर रहा था। उसने फाइल वेरिफिकेशन के लिए कुल पांच लाख रुपये की मांग की थी। शुरुआती किस्त के तौर पर तीन लाख रुपये देने की सहमति के बाद एसीबी ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया। इसके बाद एसीबी ने स्पष्ट किया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी कार्रवाई जारी रहेगी। एएसपी अभिषेक पारीक ने कहा कि हम जनता से अपील करते हैं कि यदि किसी अधिकारी द्वारा रिश्वत मांगी जाती है, तो इसकी सूचना तुरंत एसीबी को दें। हम ऐसे मामलों में तुरंत कार्रवाई करेंगे।