जयपुर। एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत की लगभग चौथाई आबादी इस्कीमिक स्ट्रोक का सामना करने के एक घंटे के भीतर एक पुनर्वास केंद्र तक पहुंच सकती है। इस्कीमिक स्ट्रोक तब होता है जब रक्त का थक्का मस्तिष्क तक रक्त आपूर्ति को प्रभावित करता है। यह शोध इंटरनेशनल जरनल ऑफ स्ट्रोक में प्रकाशित हुआ है, जिसमें यह अनुमान भी लगाया गया है कि भारत में प्रति एक मिलियन जनसंख्या पर एक से भी कम इस्कीमिक स्ट्रोक केंद्र हैं। इस्कीमिक स्ट्रोक भारत में सबसे सामान्य प्रकार है, जो सभी स्ट्रोक मामलों का लगभग 70-80 प्रतिशत है, जैसा कि सितंबर 2024 में साइंटिफ रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया। हाल के अध्ययन में शोधकर्ताओं, जिनमें अमरीका के Ascension Health और All India Institute of Medical Sciences (AIIMS), हैदराबाद के शोधकर्ता शामिल थे, ने पाया कि 26 राज्यों और संघीय क्षेत्रों में कुल 566 स्ट्रोक केंद्र हैं, जो ‘इंट्रावेनस थ्रोम्बोलाइसिस’ (IVT) उपचार विधि से सुसज्जित हैं, जो रक्त के थक्कों को तोड़ने का काम करती है।
इन 566 केंद्रों में से 60 प्रतिशत से अधिक (361) केंद्रों में स्ट्रोक मरीजों के लिए एंडोवास्कुलर थेरेपी की भी सुविधा है, जिसे श्रेष्ठ माना जाता है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि आमतौर पर एक इस्कीमिक स्ट्रोक मरीज को नजदीकी इंट्रावेनस थ्रोम्बोलाइसिस उपचार केंद्र तक पहुँचने के लिए 115 किलोमीटर और नजदीकी एंडोवास्कुलर थेरेपी केंद्र तक पहुँचने के लिए लगभग 130 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है।
अधिकांश शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि भारत की लगभग 26 प्रतिशत आबादी एक घंटे के भीतर इंट्रावेनस थ्रोम्बोलाइसिस केंद्र तक पहुँच सकती है, जबकि लगभग एक-चौथाई आबादी एंडोवास्कुलर थेरेपी केंद्र तक पहुँच सकती है।
इस विश्लेषण के लिए, “इंट्रावेनस थ्रोम्बोलाइसिस सक्षम (IVT-C) और एंडोवास्कुलर उपचार सक्षम (EVT-C)” स्ट्रोक केंद्रों के बारे में डेटा मार्च 2021 में चिकित्सा उपकरणों और फार्मास्युटिकल उद्योग प्रदाताओं से एकत्र किया गया था। नजदीकी स्ट्रोक देखभाल केंद्र तक पहुँचने के लिए लगनेवाले समय का अनुमान ‘Google Distance Matrix API’ एप्लिकेशन का उपयोग करके लगाया गया था।
लेखकों ने लिखा, “IVT-C और EVT-C केंद्रों तक एक घंटे के भीतर पहुंचने की सुविधा क्रमशः भारत की 26.3 प्रतिशत और 20.6 प्रतिशत आबादी के लिए उपलब्ध है।” “प्रति मिलियन जनसंख्या पर स्ट्रोक केंद्रों (SCPM) की औसत संख्या IVT-C और EVT-C के लिए क्रमशः 0.41 और 0.26 थी,” लेखकों ने कहा।
उन्होंने आगे कहा, “नजदीकी IVT-C और EVT-C केंद्रों तक की औसत (मीडियन) दूरी क्रमशः 115 किलोमीटर और 131 किलोमीटर थी।” लेखकों ने यह भी कहा कि भारत के ऐसे इलाकों में जहां स्ट्रोक सुविधाओं की कमी है, वहां इंट्रावेनस थ्रोम्बोलाइसिस और एंडोवास्कुलर उपचार से लैस स्ट्रोक सुविधाओं की स्थापना की सख्त आवश्यकता है, ताकि स्ट्रोक मरीजों की पहुँच बढ़ाई जा सके और उनके परिणामों में सुधार हो सके।