दरअसल, ब्रह्मपुरी, कदम्ब डूंगरी इलाके में काले मुंह के कई बंदरों के हाथ-पांव में गंभीर बीमारी देखी जा रही है। स्थानीय आशीष भट्ट ने बताया कि कंदम कुंड इलाके में छतरियों के पीछे बंदरों में ज्यादा दिक्कत देखने को मिल रही है। दो महीने से यह हालात बने हुए है। इसको लेकर वन विभाग के एसीएफ जगदीश गुप्ता से संपर्क किया तो, उन्होंने कन्नी काट ली।
स्थानीय सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि यह त्वचा की बीमारी है। ज्यादा होने पर बंदरों के हाथ- पांच में खून बहने लगता है। इस गंभीर बीमारी से जूझकर कई बंदर मर भी चुके है। इसके बावजूद भी इन पर ध्यान नहीं दे रहे है। नगर निगम के अफसर भी अनदेखी कर रहे है। दोनों विभागों के अफसरों की आए दिन शिकायत कर रहे है लेकिन कोई भी सुध नहीं ले रहा है।
जिम्मेदार बोले, जानकारी नहीं, पता करवाएंगे
वन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सक अशोक तंवर ने बताया कि हाइपर केरोटोसिस नामक बीमारी से काले मुंंह के बंदर चपेट में आ रहे है। लोग उन्हें मीठा खाने को देते है। जिससे उन्हें इस तरह की बीमारी हो रही है। यह एक दूसरे से नहीं फैलती है। झुंड में कुछेक ही चपेट में आते है। कदम्ब कुंड इलाके में इसके प्रकोप की बात सामने नहीं आयी है। पता करवा लेते है।
वन विभाग के वरिष्ठ पशु चिकित्सक अशोक तंवर ने बताया कि हाइपर केरोटोसिस नामक बीमारी से काले मुंंह के बंदर चपेट में आ रहे है। लोग उन्हें मीठा खाने को देते है। जिससे उन्हें इस तरह की बीमारी हो रही है। यह एक दूसरे से नहीं फैलती है। झुंड में कुछेक ही चपेट में आते है। कदम्ब कुंड इलाके में इसके प्रकोप की बात सामने नहीं आयी है। पता करवा लेते है।
शिकायत नहीं मिली, निस्तारण
नगर निगम के पशुधन सहायक राकेश गुप्ता का कहना है कि इस तरह की कोई शिकायत मिली नहीं है। टेंडर न होना और नहीं पकडऩे जैसी कोई बात नहीं है। अगर ऐसा मामला है तो दिखवा लेते है।
नगर निगम के पशुधन सहायक राकेश गुप्ता का कहना है कि इस तरह की कोई शिकायत मिली नहीं है। टेंडर न होना और नहीं पकडऩे जैसी कोई बात नहीं है। अगर ऐसा मामला है तो दिखवा लेते है।