मासूम के साथ कुदरत ने तो नाइंसाफी की ही, लेकिन सूत्र बताते हैं कि मासूम को इलाज भी पूरा नहीं मिला। जब मासूम की तबियत खराब थी, तो उसे शिशुगृह में ही क्यों रखा गया। सांस लेने में अधिक तकलीफ होने के बाद ही उसे अस्पताल ले जाया गया। जबकि उसकी तबियत सही नहीं थी तो उसे पहले से ही अस्पताल में भर्ती कराया जाना चाहिए। ये कई सवाल मासूम की मौत के साथ ही दफन हो जाएंगे।