जयपुर

6 डी से शिक्षकों और उनके परिवार को परेशानी

बिना वजह खो खो का खेलप्रारंभिक से माध्यमिक शिक्षा में भेजे जाने की प्रक्रिया में बदलाव की मांग

जयपुरJul 13, 2021 / 09:17 pm

Rakhi Hajela

6 डी से शिक्षकों और उनके परिवार को परेशानी



जयपुर, 13 जुलाई
प्रदेश में राजस्थान शैक्षिक सेवा नियम 2021 के असितत्व में आने के साथ ही अब शिक्षकों के प्रारंभिक शिक्षा से माध्यमिक शिक्षा (elementary education to secondary education) में भेजे जाने की प्रक्रिया में बदलाव की मांग भी जोर पकडऩे लगी है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि 6 डी शिक्षकों और उसके परिवार से लिए परेशानी बना है और एक तरह से बिना वजह यह खोखो का खेल साबित हो रहा है। राजस्थान प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संघ ने इस संबंध में शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा (Education Minister Govind Singh Dotasara) को भी पत्र लिखा है।
यह है वर्तमान में प्रावधान
गौरतलब है कि 6 डी के तहत राज्य के माध्यमिक शिक्षा के स्कूलों में अध्यापक तृतीय श्रेणी के सभी शत प्रतिशत रिक्त पद पंचायत समितियों में कार्यरत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय अध्यापकों के तबादला से ही भरने का प्रावधान है। हाल ही में बने नए शिक्षा नियमों में भी यही प्रावधान किया गया है। केवल पंचायती राज में तीन साल की सेवा पूरी करने के बाद माध्यमिक शिक्षा में जाने की शर्त हटाकर तीन साल के स्थान पर 0 वर्ष सेवा किया गया है।
राजस्थान प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संघ के महामंत्री महेंद्र पांडे ने कहा कि 6डी के तहत प्रारंभिक शिक्षा में पहली से पांचवीं कक्षा में पढ़ाने वाले को माध्यमिक शिक्षा में भी पहली कक्षा से पांचवीं को पढ़ाने के लिए और प्रारंभिक शिक्षा में छठीं से आठवीं में पढ़ाने वालों को माध्यमिक शिक्षा में भी कक्षा छह से आठवीं तक को ही पढ़ाने भेजा जाता है। 6 डी से रिक्त होने वाले पदों पर उच्च प्राथमिक और प्राथमिक स्कूलों में अध्यापक लेवल द्वितीय और अध्यापक लेवल प्रथम की पंचायती राज विभाग के मुताबिक सीधी भर्ती की जाती है। ऐसे खो खो का खेल होता है।
सेवाकाल के अंतिम वर्षों में घर से दूरी
6 डी से प्रारंभिक शिक्षा की स्कूलों से माध्यमिक शिक्षा की स्कूलों में भेजे जाने वाले अध्यापक लेवल प्रथम और द्वितीय और पंचायती राज की नियुक्ति नियमों से सीधी भर्ती वालों की योग्यता और वेतनमान एक समान है। 6 डी के तहत जिले के वरिष्ठतम अध्यापकों को जबरन माध्यमिक शिक्षा की स्कूलों में भेजा जाता है। अपनी सेवाकाल के अंतिम सालों में शिक्षक का घर छूट जाता है। 6डी के तहत जिले के वरिष्ठतम अध्यापकों को माध्यमिक शिक्षा में केवल इसलिए भेजना अनिवार्य बताया जाता है जिससे प्रारंभिक शिक्षा में नई नियुक्तियां की जा सकें। राज्य की माध्यमिक शिक्षा और पंचायती राज में चलने वाली पहली से आठवीं तक का पाठ्यक्रम, कक्षा शिक्षण और मूल्यांकन पद्धति पांचवीं और आठवीं बोर्ड सहित एक समान है।
ऐसे दी जाए नियुक्ति,प्रशासनिक समय की होगी बचत
पांडे ने कहा कि संगठन का आकलन हैं कि प्रारंभिक शिक्षा से सहमति लेकर माध्यमिक शिक्षा में भेजने के बाद भी माध्यमिक शिक्षा में रिक्त अध्यापक लेवल वन और अध्यापक लेवल टू पदों पर पंचायती राज से हुई नई नियुक्तियों वालों को भी पोस्टिंग दी जाए तो कक्षा शिक्षण पर कोई विपरित प्रभाव नहीं पडेगा। ऐसे में अब संगठन ने मांग की है कि 6डी के तहत पंचायती राज प्रारंभिक शिक्षा के अध्यापकों को सहमति से माध्यमिक शिक्षा में भेजा जाए। सहमति कम आने पर माध्यमिक शिक्षा में रहे रिक्त पदों पर पंचायतीराज के तहत नव नियुक्तिों को पोस्टिंग दी जाए। यह निर्णय वित्तीय और शैक्षिक दृष्टि से गलत नहीं होगा। साथ ही 6डी को लागू करवाने के लिए हर साल लगने वाले प्रशासनिक समय की बचत होगी, कोर्ट के अनावश्यक विवाद समाप्त होंगे।

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