इस तरह दोहरा फायदा
1- सस्ती बिजली से बनेगी: राज्य में सौर ऊर्जा की भरमार है। अभी क्षमता के अनुपात में 7 फीसदी भी उत्पादन नहीं किया जा रहा। इसी कारण ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का प्लान बनाया गया। अक्षय ऊर्जा 2.50 से 3 रुपए प्रति यूनिट मिल जाएगी, जबकि यही बिजली डिस्कॉम से लेते हैं तो 8 रुपए यूनिट पड़ती है। इससे ग्रीन हाइड्रोजन का सस्ता उत्पादन भी होगा।
1- सस्ती बिजली से बनेगी: राज्य में सौर ऊर्जा की भरमार है। अभी क्षमता के अनुपात में 7 फीसदी भी उत्पादन नहीं किया जा रहा। इसी कारण ग्रीन हाइड्रोजन बनाने का प्लान बनाया गया। अक्षय ऊर्जा 2.50 से 3 रुपए प्रति यूनिट मिल जाएगी, जबकि यही बिजली डिस्कॉम से लेते हैं तो 8 रुपए यूनिट पड़ती है। इससे ग्रीन हाइड्रोजन का सस्ता उत्पादन भी होगा।
2- हाइड्रोजन आयात करने की जरूरत नहीं होगी: यह सस्ती हाइड्रोजन पेट्रोलियम, स्टील प्लांट, रिफायनरी, फर्टीलाइजर, सीमेंट, परिवहन, विमानन क्षेत्र सहित अन्य औद्योगिक इकाईयों में होगी। इससे हाइड्रोजन दूसरे राज्य व देश से आयात करने की जरूरत नहीं होगी। इस पर होने वाला खर्चा भी बचेगा। दूसरी ओर हर साल 115 मीलियन मीट्रिक टन कार्बन उत्सर्जन की टेंशन कम होने की उम्मीद है।
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यह भी मिलेगी छूट-थर्ड पार्टी से अक्षय ऊर्जा खरीदने पर अतिरिक्त एवं क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज में 10 वर्ष तक छूट।
-परिशोधित या खारे पानी से ग्रीन हाईड्रोजन उत्पादन के लिए भूमि आवंटन में प्राथमिकता एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए 30 प्रतिशत (अधिकतम 5 करोड़ रुपए) सब्सिडी मिलेगी।
-कैप्टिव पावर प्लांट की क्षमता एवं उत्पादित बिजली की बैंकिंग पर प्रतिबंध नहीं होगा।
-विद्युत संयंत्रों के लिए व्हीलिंग एवं ट्रांसमिशन शुल्क की 100 प्रतिशत भरपाई होगी।
-बिजली संयंत्रों के लिए बैंकिंग शुल्क भी 7 से 10 वर्ष तक माफ किया जाएगा।
(राजस्थान इन्वेस्टमेंट एवं प्रमोशन स्कीम के तहत)
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बिजली जब पानी से होकर गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। यदि हाइड्रोजन बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली अक्षय ऊर्जा से ले रहे हैं तो इससे प्रदूषण नहीं होता। इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
बिजली जब पानी से होकर गुजारी जाती है तो हाइड्रोजन पैदा होती है। यदि हाइड्रोजन बनाने में इस्तेमाल होने वाली बिजली अक्षय ऊर्जा से ले रहे हैं तो इससे प्रदूषण नहीं होता। इस तरह बनी हाइड्रोजन को ग्रीन हाइड्रोजन कहा जाता है।
फैक्ट फाइल
-1 किलो हाइड्रोजन बनाने के लिए 50 यूनिट बिजली चाहिए
-25 मेगावाट क्षमता का प्लांट चाहिए एक किलो टन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए
-269 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता है राजस्थान में
-1 किलो हाइड्रोजन बनाने के लिए 50 यूनिट बिजली चाहिए
-25 मेगावाट क्षमता का प्लांट चाहिए एक किलो टन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए
-269 गीगावाट अक्षय ऊर्जा उत्पादन क्षमता है राजस्थान में