अफसरों को डर है कि कहीं कोर्ट में मामला उस जांच रिपोर्ट तक नहीं पहुंच जाए, जिसमें जिम्मेदारों ने 246 प्रतिशत अधिक दर पर कार्यादेश देने का खुलासा हुआ है। इससे बचने के लिए कुछ अफसर कंपनी सेे बातचीत के लिए बीच का रास्ता तलाशने में जुटे हैं। सूत्रों के मुताबिक इसमें एक पूर्व एमडी और एक पूर्व विधायक मध्यस्थता के भूमिका निभा रहे हैं।
इस बीच प्रबंधन ने सभी संबंधित अधिकारियों को मामले में मीडिया या अन्य कर्मचारी-अधिकारी से चर्चा नहीं करने की हिदायत दी है। गौरतलब है कि जीएसएस निर्माण से जुड़े दो मामलों में अनुबंधित कंपनी आर.सी. एंटरप्राइजेज को 237 करोड़ से अधिक राशि का कार्यादेश दिया गया। रिपोर्ट में कॉर्पोरेट लेवल परचेज कमेटी (सीएलपीसी) की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए गए।
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-आरती डोगरा, सीएमडी, डिस्कॉम्स-आलोक, अतिरिक्त मुख्य सचिव, ऊर्जा विभाग