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जयपुर

जब युद्ध में भारत ने पाकिस्तानियों को उल्टे पांव दौड़ाया, छोड़ भागे थे सैन्य सामग्री

श्रीगंगगानर, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर से सटी बॉर्डर पर जवान ही नहीं, आमजन तक पूरी तरह मुस्तैद है। सरहदी गांवों में ग्रामीणों ने भी तैयारी कर ली है।

जयपुरMar 01, 2019 / 02:03 pm

Santosh Trivedi

battle of longewala
जयपुर। श्रीगंगगानर, बीकानेर, जैसलमेर और बाड़मेर से सटी बॉर्डर पर जवान ही नहीं, आमजन तक पूरी तरह मुस्तैद है। सरहदी गांवों में ग्रामीणों ने भी तैयारी कर ली है। उत्तर में उपजे तनाव का पश्चिम के धोरे धूल चटाकर जवाब देने को तैयार है। सरहदी ग्रामीणों में घर छोड़ने की बजाय घर में घुसकर मारने का जोश नजर आ रहा है। सरहद के ग्रामीण कह रहे हैं कि अब हमारे जवानों का और खून नहीं बहने देंगे। पुलवामा के शहीदों का बदला लेने के बाद जोश दोगुना और आगे कार्रवाई की इच्छा चौगुनी हो गई है। चारों जिलों में क्या बड़े और क्या बच्चे, सभी जोश के साथ जवानों का कंधे से कंधा मिलाकर साथ निभाने को तैयार खड़े हैं।
battle of longewala
आजादी के बाद से पाकिस्तान भारत पर गिद्ध की तरह नजर गड़ाए हुए है, लेकिन भारतीय जवानों की वीरता ने दुश्मन देश के नापाक मंसूबों को हर बार नाकाम किया है। 1971 में हुए लोंगेवाला युद्ध में भारत ने पाकिस्तानियों को उल्टे पांव दौड़ाया था। जैसलमेर के रास्ते पाकिस्तान के दिल्ली तक पहुंचने की मंशा को देश की छोटी से टुकड़ी ने धूल चटा दी, जब पाकिस्तान ने रात के अंधेरा का फायदा उठाते हुए अचानक से हमला कर दिया था। छह घंटे तक चले इस युद्ध में जीत आखिर भारत की हुई और पाकिस्तान के सैनिक अपनी सैन्य सामग्री छोड़ भाग खड़े हुए।
battle of longewala
भारतीय वायुसेना ने इस लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी। ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी ने लोंगेवाला युद्ध में भारतीय दल की टुकड़ी का वीरता के साथ नेतृत्व किया। इसके लिए उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया। बाॅलीवुड की फिल्म ‘बाॅर्डर’ लोंगेवाला के युद्ध पर आधारित है। इसमें ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह का किरदार सन्नी देओल ने निभाया था।
longewala war
इस युद्ध की याद में यहां युद्ध स्मारक बनाया गया है। लोंगेवाला युद्ध स्मारक पर अपने मध्यस्थल में ऊंचे स्तम्भ पर 15 फीट ऊंचाई पर गर्व से लहराता तिरंगा देश के युवाओं का सिर गर्व से ऊंचा कर रहा है। युद्ध में जप्तशुदा हथियारों, टैंकों व सैन्य वाहनों की एक विस्तृत श्रंखला यहां प्रदर्शित हैं। भारतीय सेना के शौर्य को प्रदर्शित करता यह युद्ध स्मारक वीर सैनिकों की शहादत का एक स्मरणीय प्रतीक है। इसे देखने के बाद हर किसी का सीना 56 इंच का हो जाता है।

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