यही हालात राजधानी जयपुर समेत अन्य जिलो के लोगों की पानी की प्यास बुझाने वाले बीसलपुर बांध के हैं। जल संसाधन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक बीसलपुर बांध में अब महज 9 टीएमसी पानी ही शेष रह गया है। इस पानी से आगामी 180 दिन ही जयपुर शहर की पेयजल आपूर्ति हो सकती है। मानसून की चाल यही रही तो जल्द ही जयपुर शहर जलदाय विभाग को पेयजल व्यवस्था के लिए अन्य वैकल्पिक उपाय खोजने पड़ेगे। हालांकि जलदाय विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जुलाई तक स्थितियां पूरी तरह से सामान्य होने की उम्मीद है। विभिन्न जगहों पर बारिश के आने से कैचमेंट एरिया से पानी पूरी तरह से बांधों में पहुंचेगा।
छह बांधों में ही पानी
प्रदेश के कुल 727 छोटे-बड़े बांधों में से 514 पूरी तरह खाली हैं। अब तक सिर्फ 6 बांध ऐसे हैं जिनमें पानी है, जबकि 185 बांधों में कम मात्रा में पानी भरा हुआ है। बाकी बचे हुए 22 बांधों की सूचना जलदाय विभाग के पास नहीं है। 28 दिन के बारिश के आंकड़ों की बात की जाए तो प्रदेश में सामान्य से 36 फीसदी कम बारिश हुई है, जबकि जयपुर जिले में यही आंकड़ा सामान्य से 38.3 फीसदी कम है। प्रदेश के 33 जिलों में से 7 में ही सामान्य बारिश हुई है, जबकि एक जिले जैसलमेर में अतिवृष्टि की स्थिति है।
ऐसे समझें पानी की गणित
बीते साल 14 जुलाई को जहां प्रदेश के 22 बड़े बांधों में 5096 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बचा था। वहीं इस महीने की 14 जुलाई को 4300 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी ही शेष बचा है। इससे कमजोर मानसून की तस्वीर साफ हो रही है और बांधों में पिछले साल के मुकाबले लगभग 6 फीसदी कम पानी की आवक हुई। बीसलपुर बांध 24 फीसदी पानी शेष है।