…बस 15 फीट की दूरी ने बचाई अडानी की जान
शाम का वक्त था। कुछ विशेष गणमान्य के साथ गौतम अडानी ताज होटल में डिनर कर रहे थे कि अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से होटल की लाॅबी गूंज उठती है। होटल के सायरन बजने लगते हैं और पूरे होटल में सन्नाटा पसर जाता है। कुछ देर बाद पता चलता है कि होटल पर आतंकी हमला हो गया है। यह वही हमला था जिसमे अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। खैर, गौतम अडानी हमले के दौरान ही होटल के बेसमेंट में जाकर छुप जाते हैं। जब तक कमांडो नहीं पहुंचते हैं तब तक उनकी जान हलक में अटकी रहती है। गौरतलब है कि इस हमले में 160 लोगों की जान चली गई थी। इसके बाद सेना के विशेष कमांडोज ने आतंकियों का सफाया किया था।
अडानी ने पहले ही ताड़ लिया आतंकी हमला
अडानी को व्यवसाय में ही अवसर की पहचान नहंी है बल्कि आपात स्थिति की भी उन्हें बहुत अच्छी परख है। दरअसल जिस समय यह हमला हुआ वह ताज होटल के वे वेदर क्राफ्ट रेस्टोरेंटमें दुबई पोर्ट के सीईओ मोहम्म्द शराफ के साथ डिनर कर रहे थे। यह ताज में उंचाई पर स्थिति है। वहां से गौतम की नजर बाहर पड़ी और गोलियों की फायरिंग देख वह जान गए कि आतंकी हमला हुआ है। उसके बाद वह बहुत तेजी से ताज होटल के बेसमेंट में चले गए और 27 नंवबर को जब वह अहमदाबाद जिंदा वापस पहुंचे तो कहा कि उन्हांेने 15 फीट की दूरी पर मौत देखी है। उसके बाद गौतब अडानी ने किस तरह से व्यवसाय संभाला यह अब इतिहास है।
…गौतम अडानी को जब उत्तर प्रदेश के गुंडे ने सरे बाजार उठवा लिया
90 के दशक में यूं तो श्री प्रकाश शुक्ला का अपहरण और फिरौती लेने के लिए बोलबाला था लेकिन एक शख्स ऐसा भी था जो कि जेल से बैठे बैठे किसी का भी कहीं से अपहरण करा दिया करता था। वह अंडर वल्र्ड डान दाउद को भी काम दिया करता था और उससे काम लिया करता था। बात कर रहे हैं माफिया बबलू श्रीवास्तव की। यह वही शख्स है जिसने उत्तर प्रदेश की जेल में बैठे बैठे अहमदाबाद से अडानी को उठवा लिया। यह वह समय था कि जब गौतम अपने व्यवसाय में पैर जमा रहे थे कि पूरी योजना के साथ बबलू श्रीवास्तव ने नए वर्ष के दिन 1998 में गौतम का अपहरण करवा लिया। उस समय वह कर्णावती क्लब से निकलकर मोहम्मदपुरा रोड पर आगे जा रहे थे। इसके बाद गौतम अडानी को 11 करोड़ रुपए देने के बाद रिहा किया गया।