यह महत्वपूर्ण है कि लोगों को अम्प्युटेशन के बारे में जागरूक किया जाए, ताकि वे इसे रोकने के लिए सक्रिय कदम उठा सकें। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मधुमेह रोगियों के लिए निचले अंगों का अम्प्युटेशन करने की संभावना साधारण लोगों की तुलना में 10 गुना अधिक होती है।
अम्प्युटेशन मुक्त देश के लिए लोगों में जागरूकता लाने के लिए भारतीय वास्क्युलर सोसायटी की ओर से 4 अगस्त को वॉकथॉन-2.0 आयोजित की जाएगी। यह वॉकथॉन देश के 34 शहरों में अम्प्युटेशन मुक्त भविष्य की सोच को देखते हुए लोगों को जागरूक करेगी।
अम्प्युटेशन मुक्त देश के लिए लोगों में जागरूकता लाने के लिए भारतीय वास्क्युलर सोसायटी की ओर से 4 अगस्त को वॉकथॉन-2.0 आयोजित की जाएगी। यह वॉकथॉन देश के 34 शहरों में अम्प्युटेशन मुक्त भविष्य की सोच को देखते हुए लोगों को जागरूक करेगी।
अंगों पर यों डालता है असर डॉ. सृष्टि वालिया ने बताया कि ये निम्न तीन कारण रोगियों के अंगों पर असर डालते हैं। पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) : अक्सर वास्क्युलर रोग विशेषकर पेरिफेरल आर्टरी डिजीज (PAD) और मधुमेह से संबंधित समस्या होन पर निचले अंगों के अम्प्युटेशन होते हैं। इसके होने के तीन मुख्य कारण आयु, मधुमेह और धूम्रपान होते हैं। निचले अंगों में रक्त प्रवाह की कमी, अस्थाई घाव और संक्रमण का कारण बन सकती है, जिससे डॉक्टर को अम्प्युटेशन करना पड़ता है। मधुमेह रोगियों में अस्थाई घाव, संक्रमण और गैंग्रीन सामान्य होते हैं। मधुमेह में विशेषकर उसकी उन्नत अवस्थाओं में, पेरिफेरल न्यूरोपैथी और वास्क्युलर समस्याओं सहित गंभीर समस्याओं का कारण बन सकता है। जब ये स्थितियां अनियंत्रित हो जाती हैं तो अम्प्युटेशन रोग के प्रसार को रोकने और व्यक्ति के सामान्य स्वास्थ्य की रक्षा के लिए आखिरी उपाय हो सकता है।
क्रिटिकल लिम्ब इश्केमिया : इसमें पैर की रक्त संवाहिकाओं में बंदिश होती है, जो पैर को रक्त प्रवाह की आपूर्ति को खतरे में डालती है। इससे रोगी को अम्प्युटेशन का खतरा होता है। गैंग्रीन : कम रक्त प्रवाह और खराब संवाहना अनेक रोगियों के पैर और पैरों में गैंग्रीन का कारण बन सकते हैं। गैंग्रीन तब होता है, जब किसी शरीर के भाग को पर्याप्त ऑक्सीजन संयुक्त रक्त नहीं मिलता है और स्वस्थ ऊतक मरने लगते हैं। मधुमेह और PAD वाले रोगियों को जिन्हें गैंग्रीन के लक्षण नजर आए हों, उन्हें जल्द चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है। गैंग्रीन अम्प्युटेशन की दिशा में तेजी से बदल सकता है।
यों मिल सकती है राहत डॉ. मानवेन्दु झा ने बताया कि धमनी बाइपास सर्जरी या स्टेंट के साथ एंजियोप्लास्टी का उपयोग करके विच्छेदन से बचा जा सकता है। इन सर्जिकल या एंडोवास्क्युलर इंटरवेंशन्स से रक्त प्रवाह को पुनः स्थापित किया जा सकता है और मुख्य अम्प्युटेशन नीचे या ऊपर घुटने के स्तर पर रोका जा सकता है। जागरूकता और त्वरित इंटरवेंशन के साथ अम्प्युटेशन मुक्त दुनिया संभव है।