जगदलपुर

इस गांव में गरीबी इतनी ज्यादा की युवतियां नहीं करना चाहती शादी, एक का हुआ विवाह, वह दुल्हन भी लौटी

CG News : सोचिए! उस इलाके के लोगों की मजबूरी का आलम जो सरकार की नाकामी की वजह से अपनी शादी नहीं कर पा रहे हैं।

जगदलपुरNov 30, 2023 / 12:17 pm

Kanakdurga jha

इस गांव में गरीबी इतनी ज्यादा की युवतियां नहीं करना चाहती शादी

जगदलपुर। CG News : सोचिए! उस इलाके के लोगों की मजबूरी का आलम जो सरकार की नाकामी की वजह से अपनी शादी नहीं कर पा रहे हैं। यदि करनी भी पड़े तो उसके लिए झूठ का सहारा लेना पड़ रहा है। इसके लिए उनकी एक ही गलती है कि वह उस इलाके में पैदा हुए हैं जहां सरकार या प्रशासन की नजर ही नहीं पड़ती है। दरअसल संभाग मुख्यालय से करीब 75 किमी दूर आखिरी छोर में बसे मारडूम पंचायत के आश्रित ग्रामी करलाकोंटा गांव हैं। जहां सड़क, बिजली, पेयजल जैसी मुलभूत सुविधाएं हीं आज तक नहीं पहुंची। इसी का नतीजा है कि यहां जिंदगी की चुनौतियों को देखते हुए युवतियां यहां के लड़कों से शादी नहीं करना चाहती।
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एक कहानी ऐसी भी…

गांव में सबसे बुरा हाल नौजवानों का है। इस गांव के युवक शिवराम की 1 साल पहले ही उनकी शादी हुई है। इस शादी के लिए उन्हें झूठ का सहारा लेना पड़ा। तब जाकर उनकी शहनाई बनी। बताया गया है कि शादी से पहले उसके होने वाले पति शिवराम ने उसे यह बताया था कि गांव में सड़क, बिजली, पानी सभी की सुविधा है। लड़का अच्छा लगा तो उसने शादी के लिए हां कर दी और परिवार वाले ने भी उनके ससुराल को नहीं देखा था। समलों ने बताया कि उनका सपना शादी वाले दिन ही टूट गया। दरअसल जब वह शादी करके आ रहीं थी तो गांव तक गाड़ी ही नहीं पहुंची। ससुराल तक पहुंचने के लिए मारडूम पंचायत से एक से डेढ़ घंटे तक पहाड़ से नीचे पैदल उतरना पड़ा। दूसरे दिन जब पीने के पानी के लिए आधे किमी का सफर तय किया तो झरने से गंदा पानी भरना पड़ा। बिजली, सड़क, स्वास्थ केंद्र की सुविधा नहीं मिली। अब शादी हो गई है कि आगे की जिंदगी का लेकर काफी परेशान हैं।
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दरअसल लौहण्डीगुड़ा ब्लॉक के मारडूम पंचायत का आश्रित गांव है करलाकोंटा। इस गांव तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। मारडूम पंचायत से करीब 6 किमी जंगल पहाड़ और खेत के मेड़ को पारकर यहां तक पहुंचना पड़ता है। कुछ साल पहले यहां प्राथमिक शाला तो खुली, लेकिन यहां एक भी शिक्षक नहीं है। इसलिए गांव के बच्चे शिक्षा से वंचित है। यही नहीं गांव में बिजली भी नहीं पहुंची है। यहां पर सोलर लाइटें केवल शोभा बढ़ा रही हैं न कि रात के अंधियारे में उजाला फैलाती हैं। नल जल योजना तो यहां सोचना भी बेमानी है। आलम यह है कि ग्रामीणों को झिरिया के गंदे पानी को पीना पड़ता है। बरसात के समय ग्रामीण गंदे पानी को उबालकर पीने को मजबूर होते हैं। चिकित्सा व्यवस्था की कमी के कारण बीमार को खाट की कांवड़ बनाकर कंधे मारडूम पंचायत तक 6 किलोमीटर पैदल चलकर ले जाना पड़ता है।
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नक्सलमुक्त होने के बाद भी समस्याओं का अंबारशिवराम ने तो झूठ बोलकर शादी कर ली, लेकिन इस गांव के बाकी नौजवान अपनी शादी को लेकर काफी चिंतित हैं। वे चाहकर भी अपने गांव को नहीं छोड़ना चाहते, लेकिन प्रशासन के बेरुखी के चलते उनके गांव तक कोई विकास कार्य भी नहीं पहुंच रहा है। इस वजह से उनका ब्याह भी नहीं हो रहा है। यह गांव पूरी तरह से नक्सल मुक्त हो चुका है। बावजूद इसके अधिकारी इस गांव तक सड़क, बिजली ,पानी जैसी मूलभूत सुविधा पहुंचाने के लिए कोई रुचि नहीं ले रहे हैं, जिसके चलते यहां के ग्रामीण प्रशासन और स्थानीय जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने को मजबूर है। हालांकि जिम्मेदार अधिकारी इस गांव में विकास कार्य पहुंचाने के लिए प्रयास करने की बात कह रहे हैं।

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