जगदलपुर

बस्तर के राजा को रथ छुड़वाने के लिए ये सब काम भी करना पड़ा, जानिए क्या है पीछे की कहानी

शनिवार की रात दंतेश्वरी मंदिर से चोरी हुए आठ चक्के के रथ को रविवार की शाम माटी पुजारी कमलचंद भंजदेव की अगुआई में लेने के लिए गए।

जगदलपुरOct 02, 2017 / 03:01 pm

ajay shrivastav

जानिए क्या है पीछे की कहानी

जगदलपुर. अश्विन शुक्ल एकादशी पर बाहर रैनी रस्म निभाई गई। शनिवार की रात दंतेश्वरी मंदिर से चोरी हुए आठ चक्के के रथ को रविवार की शाम माटी पुजारी कमलचंद भंजदेव की अगुआई में लेने के लिए गए। कुम्हड़ाकोट के जंगल में माडि़या लोगों से चर्चा करने के बाद माटी पुजारी ने नवाखाई की रस्म निभाई। यहां लोगों के साथ भोजन किया। इसके बाद रथ की सात परिक्रमा माटीपुजारी कमलचंद भंजदेव, राजपुरोहित और बस्तर दशहरा समिति के सदस्यों ने किया।
पूरे शान के साथ दंतेश्वरी मंदिर लाया गया
इसके बाद दंतेश्वरी माता के छत्र को रथ में विराजित किया गया और शहर के मुख्य मार्ग लालबाग,कोतवाली चौक, मेन रोड गुरुनानक चौक होते हुए रथ को पूरे शान के साथ दंतेश्वरी मंदिर लाया गया। इस दौरान लोग अपने घर की छतों, दुकानों के बाहर खड़े होकर रथ परिक्रमा देखी। यहां गैलरियों में बैठे लोगों ने आतिशबाजी का नजारा देख उत्साहित हुए। इस अवसर पर माटी पुजारी कमलचंद्र भंजदेव, सांसद दिनेश कश्यप, बस्तर दशहरा समिति के उपाध्यक्ष लच्छु राम कश्यप आदि उपस्थित थे।
मुरिया दरबार आज
सिरहासार भवन में सोमवार को दोपहर मुरिया दरबार लगेगा। इसमें मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह गांव गांव से आए मांझी, मुखिया, नाईक, पाईक, चालकी, मेम्बर, मेम्बरीन, कोटवार से रूबरू होंगे। वे अपनी समस्याओं से सीएम को अवगत कराएंगे। इसके पहले सुबह 11 बजे काछन जात्रा पूजा विधान पथरागुड़ा स्थित पूजा स्थलों में किया जाएगा।
यह है मान्यता
बस्तर में रथ चोरी की रस्म सालों से निभाई जा रही है। मान्यता है कि राज परिवार ने दशहरे की रस्म में माडि़या लोगों को शामिल नहीं किया था। इससे उन्होंने उपेक्षित मानते हुए रथ चोरी कर कुम्हड़ाकोट ले गए। इस रथ को बाहर रैनी रस्म निभाने के बाद पूरे शहरवासियों के सामने माटी पुजारी यानी राजा रथ लेकर आते हैं।
…जब रथ का टूटा एक्सल
आठ चक्कों के विजय रथ को चोरी कर ले जाते समय पीछे के चक्के का एक्सल रास्ते में टूट गया। इसके बाद उसे सात चक्के में ही कुम्हड़ाकोट तक ले जाया गया। इस एक्सल को बनाने के लिए रविवार को सुबह से ही कारीगर लगे रहे और मशक्कत के बाद एक्सल जोड़ा गया। एक्सल को बनाने के लिए जेसीबी का सहारा भी लेना पड़ा।

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