यह भी पढ़ें : सीएम ने बागियों से की चर्चा, कार्यकर्ताओं को एकजुट करने लगाया दरबार देवी अपराजिता की पूजा का महत्व दशहरा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाते हैं। इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीराम ने लंका विजय से पूर्व देवी अपराजिता की पूजा की थी, जिसके फलस्वरूप उन्होंने रावण वध करके लंका पर जीत हासिल की और माता सीता को मुक्त कराकर अयोध्या वापस लेकर गए। यही वजह है कि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने दशहरा के दिन देवी अपराजिता की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा से सफलता प्राप्त होती है।
यह भी पढ़ें : बस्तर दशहरा : फूलरथ की चौथी परिक्रमा हुई पूर्ण देवी अपराजिता की पूजा मुहूर्त पंडित दिनेश दास ने बताया कि दशहरा के दिन देवी अपराजिता की पूजा विजय मुहूर्त में किया जाता है। इससे देवी अपराजिता प्रसन्न होकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने की आशीर्वाद देती है। इस वर्ष देवी अपराजिता की पूजा का शुभ मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से दोपहर 2 बजकर 43 मिनट तक है।
यह भी पढ़ें : निस्प के विनिवेशीकरण को लेकर भडक़े संगठन – कहा विनिवेश करने वाले अथारिटीज के प्लांट दौरा की जानकारी दे प्रबंधन रवि योग में होगी देवी अपराजिता की पूजा दशहरा के दिन जिस समय देवी अपराजिता की पूजा होगी उस समय रवि योग बन रहा है। रवि योग सुबह 6 बजकर 27 मिनट से लेकर दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक रहेगा जबकि दशहरा का अभिजित मुहूर्त सुबह 11बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 28 बजे तक है। वृद्धि योग दोपहर 3 बजकर 40 मिनट से अगले दिन 25 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वहीं गर करण योग दोपहर 3 बजकर 14 मिनट पर गर करण का निर्माण हो रहा है। इसके पश्चात वणिज करण योग है। वणिज और गर करण शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।