रबर बोर्ड से सात वर्षों का अनुबंध इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर तथा रबर अनुसंधान संस्थान कोट्टायम केरल के मध्य हुए इस समझौते के अनुसार कृषि अनुसंधान केंद्र बस्तर में 5 हेक्टेयर रकबे में रबर की खेती के लिए सात वर्षों की अवधि के लिए पौध सामग्री, खाद-उर्वरक, दवाएं इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराएगा। (cg news in hindi) रबर की खेती के लिए आवश्यक तकनीकी मार्गदर्शन तथा रबर निकालने की तकनीक भी उपलब्ध कराएगा।
किसानों के लिए फायदे की खेती होंगी रबर बोर्ड के वैज्ञानिकों ने आरआरआईआई 430 और आरआरआईएम 600 के पौधे लगवाए है। आरआरआईआई के अनुसंधान संचालक डॉ. एमडी जेसी ने बताया कि रबर एक अधिक लाभ देने वाली फसल है। (jagdalpur news) भारत में केरल, तमिलनाडु आदि दक्षिणी राज्यों में रबर की खेती ने किसानों को संपन्न बनाने में अहम भूमिका निभाई है। (cg news) बस्तर के किसानों के लिए भी यह योजना गेम चेंजर साबित हो सकती है।
रबर की खेती से 30 वर्षो तक मिलेगा लाभ कोट्टायम रबर बोर्ड के कार्यकारी निदेशक एम वसन्तागेशन ने बताया कि छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की जलवायु रबर की खेती के लिए उपयुक्त है। (cg bastar news) यहां रबर की खेती से किसानों को अधिक आमदनी प्राप्त होेगी। बस्तर जिले में रबर खेती के लिए अधिक से अधिक किसानों को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा। (jagdalpur news) इस खेती से किसानों को 30 वर्षों तक आजीविका मिलती रहेगी।