नेशनल लोक अदालत में पक्षकारों के मध्य सुलह द्वारा विवादों के समाधान के लिए जिला एवं सत्र न्यायाधीश सहित सभी न्यायाधीशगण की कुल 07 खण्डपीठ एवं परिवार न्यायालय की 01 खण्डपीठ सहित कुल 08 खण्डपीठों तथा बस्तर जिले के समस्त राजस्व न्यायालयों के कुल 14 खण्डपीठों का गठन किया गया था। नेशनल लोक अदालत के लिए गठित समस्त 22 खण्डपीठों में प्रकरणों के निराकरण के लिए सुलहकर्ता सदस्यों के रूप में पेनल अधिवक्ताओं की नियुक्ति की गई है ।
नेशनल लोक अदालत में कुल रखे गये कुल लंबित 1209 प्रकरणों में से 80 आपराधिक प्रकरण 15 व्यवहार वाद प्रकरण 49 दावा प्रकरण, 04 पारिवारिक प्रकरण 45 धारा 138 नि.ई. एक्ट के प्रकरण 30 श्रम संबंधी प्रकरण 167 स्पेशल सिटिंग के अन्तर्गत प्रकरण 12 ट्रैफिक चालान के प्रकरण इस प्रकार कुल 402 लंबित प्रकरणों में रूपये 4,14,53,562 रुपए में राजीनामा के आधार पर उनका निराकरण आपसी सुलह समझौता के आधार पर किया गया। राजस्व न्यायालयों में गठित 14 खण्डपीठों में कुल 7241 राजस्व प्रकरणों का निराकरण किया गया। इसी प्रकार सभी प्रमुख बैंकों, बी0एस0एन0एल0 विभाग, विद्युत विभाग, नगरनिगम ( जल प्रदाय शाखा एवं संपत्ति कर शाखा) द्वारा रखे गये कुल 9114 प्रकरणों में से विद्युत विभाग के 27 प्रकरण, बी0एस0एन0एल0 के 05 प्रकरण एवं जलकर के 09 प्रकरण इस प्रकार कुल 41 प्रकरणों में रूपये 1,44,338 रुपए में राजीनामा के आधार पर प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का अंतिम निराकरण किया गया ।
नेशनल लोक अदालत में परिवार न्यायालय जगदलपुर में एक एतिहासिक फैसले में परिवार टूटने से बच गया। दरअसल सुकमती नाग विरूद्ध परसुराम नाग के प्रकरण में आवेदिका ने पति पर प्रताडऩा और मारपीट का आरोप लगाया था। २१ साल पुराने वैवाहिक जीवन में 5 संताने थी। आवेदिका पति द्वारा घर से निकालने समेत प्रताडऩा का आरोप लगाया था। मामला इतना बढ़ गया था कि उसने भरण पोषण के लिए आवेदन तक लगा दिया था। लेकिन न्यायालय एवं काउन्सलर के माध्यम से एक बार साथ रहकर जीवन बिताने की समझाईस दी गई। जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए और शनिवार को उन्होंने अपना मामला वापस लेते हुए खुशी खुशी साथ रहने पर सहमति जताई।