इसमें उनके साथ लक्ष्मण और माता सीता की भी तस्वीर है। इस साड़ी और तस्वीर की खास बात यह है कि कारीगर अब इस विशेष आकृति को अब दूसरी बार कभी नहीं उकेरेंगे। कारीगरों का कहना है कि यह उनकी तरफ से श्रीराम को विशेष भेंट हैं।
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18 दिन रोजाना 8 घंटे की मेहनत से बनी साड़ीम हिलाओं ने बताया कि श्रीराम का बस्तर से गहरा नाता है। यही वजह है कि इतने लंबे समय के बाद आयोध्या में बन रही राम मंदिर के लिए वे विशेष भेंट तैयार करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कोसा की साड़ी में श्रीराम, लक्ष्मण और सीता की तस्वीर तैयार कर उन्हें भेंट करने की सोची। 18 दिन तक रोजाना 10 घंटे की कड़ी मेहनत के बाद इसे तैयार किया गया है। इसे विशेष बनाने के लिए उन्होंने कहा कि वे इस तरह की तस्वीर अब कभी नहीं बनाएंगे। इसलिए यह अपने आप में श्रीराम के लिए विशेष भेंट साबित होगा।
बस्तर की आदिवासी महिलाएं विश्व प्रसिद्ध कोसे की साड़ी में उकेर रही राम दरबार
कारीगर बोले, यह साड़ी विशेष इसलिए क्योंकि अब नहीं बनाएंगे इस छवि वाली साड़ी हर संभव मदद करेंगेबस्तर कलेक्टर विजय दयाराम के. का कहना है कि बस्तर के बिना दंडकारण्य और दंडकारण्य के बिना रामायण अधूरी है। यही वजह है कि बस्तर के कारीगरों ने अयोध्या में रामलला को भेंट करने ये अद्भुत साड़ी तैयार की है। इन सभी कारीगरों को विकसित भारत योजना के दौरान प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना से जोड़ा गया था। इनके हुनर को प्रोत्साहन देने हर संभव प्रयास किया जाएगा।
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यह महिलाएं तैयार कर रहीं साड़ी : खेमसागर बघेल, नीरू यादव, प्रीति ध्रुव, दीप्ति सोरी, फहलेश्वरी ध्रुव, चमेली देवांगन। फूलों के रंगों का किया गया है प्रयोगजितना खूबसूरत यह गिफ्ट है उतनी ही खूबसूरत इससे बनाने के पीछे की कहानी है। कुम्हारपारा के कोसा से साड़ी बनाने वाले कारखाने में तैयार हो रहा यह विशेष भेंट को बनाने के लिए महिला कारिगरों ने विशेष तैयारी कर रखी थी।
रोजाना 10 बजे यह महिलाएं जब काम में पहुंचती तो कारखाने के बाहर ही चप्पल उतारतीं है। इतना ही नहीं इसे बनाने के दौरान आस-पास भक्ति का माहौल बनाने के लिए लगातार भजन भी बजते रहते हैं। इस विशेष साड़ी को तैयार करने के बाद अब रंगने का काम किया जा रहा है। कारीगरों का कहना है कि इसमें फूलों के रंगों का प्रयोग किया है।