यह भी पढ़ें : CG Election 2023 : पीएम नरेंद्र मोदी के बिलासपुर दौरे पर कांग्रेस ने लगाई सवालों की झड़ी, पूछे ये 36 प्रश्न.. 30 साल बाद पितृ पक्ष की तिथि और योग
ज्योतिष पंडित दिनेश दास ने बताया कि इस वर्ष का पितृ पक्ष बहुत खास होने जा रहा है । 30 सालों बाद इस बार पितृ पक्ष में सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग एक साथ बनने जा रहा है। इस पक्ष में शुभ योगों का एक साथ बनना बहुत लाभकारी माना गया है। पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है। यह अमावस्या तिथि तक रहता है। इस बार पितृ पक्ष 29 सितंबर से शुरू होने जा रहा है और समापन 14 अक्टूबर को होगा।
यह भी पढ़ें : खुशियां बदली मातम में… गणेश विसर्जन करते खारुन नदी में डूबा नाबालिग, मौत पितरों के ऋण से मिलती है मुक्ति पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके दान धर्म किये जाने की परंपरा है। हिन्दू धर्म में इनका खास महत्व है। मान्यता के मुताबिक पितृ पक्ष में पितरों के ऋण से मुक्ति के लिए कर्म किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ नाराज हो जाएं तो घर की तरक्की में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। यही कारण है कि पितृ पक्ष में पितरों को खुश करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध व अन्य अनुष्ठान किए जाते हैं।
– 29 सितंबर 2023, शुक्रवार पूर्णिमा श्राद्ध – 30 सितंबर 2023, शनिवार द्वितीया श्राद्ध – 01 अक्टूबर 2023, रविवार तृतीया श्राद्ध – 02 अक्टूबर 2023, सोमवार चतुर्थी श्राद्ध – 03 अक्टूबर 2023, मंगलवार पंचमी श्राद्ध
– 04 अक्टूबर 2023, बुधवार षष्ठी श्राद्ध – 05 अक्टूबर 2023, गुरुवार सप्तमी श्राद्ध – 06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार अष्टमी श्राद्ध – 07 अक्टूबर 2023, शनिवार नवमी श्राद्ध – 08 अक्टूबर 2023, रविवार दशमी श्राद्ध
– 09 अक्टूबर 2023, सोमवार एकादशी श्राद्ध – 10 अक्टूबर 2023, मंगलवार मघा श्राद्ध – 11 अक्टूबर 2023, बुधवार द्वादशी श्राद्ध – 12 अक्टूबर 2023, गुरुवार त्रयोदशी श्राद्ध – 13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार चतुर्दशी श्राद्ध
– 14 अक्टूबर 2023, शनिवार सर्व पितृ अमावस्या यह भी पढ़ें : 5 साल की बच्ची से रेप… इलाज में देरी से आक्रोशित लोगों ने किया चक्काजाम, इस हाल में मासूम गरुड़ पुराण के मुताबिक इन दिनों में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष समाप्त होता है. घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है. लेकिन तर्पण किस तिथि को, किस विधि से करना चाहिए यह सब ज्योतिष के परामर्श के मुताबिक किये जा सकते हैं। पितृ अमावस्या पर पीपल के पत्तों पर पांच तरह की मिठाई रखकर पीपल की पूजा करते हुए पितरों से प्रार्थना करें कि वह अपना आशीर्वाद बनाए रखें। इससे पितर संतुष्ट होकर प्रसन्न होते हैं।
कौवों को भोजन अवश्य कराएं हिन्दू घर्म में पितृ पक्ष के दौरान कौवों को भोजन कराने का विशेष महत्व है। इस पक्ष के दौरान कौवों को पितर का रूप माना गया है और मान्यता है कि इन दिनों कौवों को भरपेट भोजन कराया जाना चाहिएं।