यह भी पढ़ें : विधानसभा चुनाव से पहले महिलाओं के लिए 1450 पदों पर भर्ती, गारमेंट फैक्ट्री, BPO और आंगनबाड़ी समेत यहां निकली वैकेंसी शिक्षादूत बन बच्चों को पढ़ाता था नक्सलियों के चंगुल से छूटने के बाद शंकर ने बताया कि बस्तर फाइटर में चयन के पहले वह शिक्षा दूत के रूप में स्कूल में बच्चों को पढ़ाया करता था, लेकिन पारिवारिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसने बस्तर फाइटर बल में आवेदन किया, जहां उसका चयन आरक्षक पद पर हो गया। तब उसने फ़ोर्स ज्वॉइन कर लिया। वह अपने काम से मतलब रखता है। क्षेत्र में उसका किसी से कोई विवाद नहीं है।
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नक्सलियों के डीवीसी सदस्य सुखलाल ने जन अदालत के दौरान लोगों को बताया कि शंकर पुलिस का जवान था इसलिए ग्रामीणों ने उसे मार डालने को कहा था, लेकिन समाज और परिजनों की अपील के कारण एक बार फिर उससे पूछताछ की और फिर समाज और परिजनों से पूछताछ के बाद लोगों से चर्चा कर पूर्व के निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए शंकर कुडियम को कुछ शर्तों पर छोड़ने का निर्णय लिया।
यह भी पढ़ें : केंद्र सरकार पर बरसे CM बघेल, कहा – 2021 की जनगणना क्यों नहीं हो रही है?… देखें video शंकर ने बताया कि वह अपने मित्र को लेने उसपरी गांव गया था तो गांव के बाहर नक्सलियों कि मौजूदगी थी। नक्सलियों को ज़ब जानकारी मिली कि डीआरजी का एक जवान गांव में घूम रहा हैं तो उन्होंने उसे पकड़ लिया और लगातार उससे पूछताछ की जाती रही है।
यह भी पढ़ें : CM बघेल ने की बड़ी घोषणा.. पंचायत सचिवों को 11,600 से 20,400 तक मिलेगा वेतन, अब इतने दिनों तक मिलेगा अवकाश जवान बताता है कि दिन में उसे किसी घर में रखा जाता था और उसे वहां भोजन पानी भी नियमित रूप से दिया जाता था। जब भी नक्सली कहीं आते जाते थे तो उसे भी साथ ले जाते थे। इस दौरान अलग – अलग नक्सलियों के साथ वह रहता था, लेकिन न तो उससे मारपीट की गई और न ही प्रताड़ना दी गई।