अब तक समूचे प्रदेश में प्राइवेट छात्रों के लिए असमंजस की स्थिति बनी हुई थी कि वे साल में एक बार परीक्षा देंगे या सेमेस्टर परीक्षा देंगे लेकिन अब उच्च शिक्षा संचालनालय के अफसरों ने स्पष्ट कर दिया है कि एनईपी के प्रावधान प्राइवेट छात्रों पर भी लागू होंगे यानी उन्हें भी चार वर्षीय ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम के तहत पढ़ाई करनी होगी।
बीए, बीकॉम और बीएससी समेत सभी स्नातक स्तर की कक्षाओं के प्रथम वर्ष से राष्ट्रीय शिक्षा नीति की शुरुआत हो रही है। प्राइवेट के छात्र अब जिस कॉलेज में परीक्षा के लिए फार्म जमा करेंगे, वहीं उनका आंतरिक मूल्यांकन भी होगा।
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प्रत्येक सेमेस्टर में दो आंतरिक मूल्यांकन होंगे, इसमें पास होना जरूरी
चार वर्षीय पाठ्यक्रम में चाहे रेगुलर हो या प्राइवेट सभी विद्यार्थियों का दो बार आंतरिक मूल्यांकन होगा। दोनों में से जिसमें अधिक अंक होगा उसे और असाइनमेंट में मिले अंक को मिलाकर उसका औसत निकाला जाएगा। इसे बाह्य परीक्षा यानी सैद्धांतिक विषय की परीक्षा के अंक के साथ जोडक़र नतीजे घोषित किए जाएंगे। यदि कोई विद्यार्थी आंतरिक मूल्यांकन में शामिल नहीं हुआ और मुख्य परीक्षा में 80 फीसदी अंक भी ले आता है तो भी उसे अनुत्तीर्ण ही घोषित किया जाएगा। अत: प्रत्येक विद्यार्थी के लिए मुख्य परीक्षा और आंतरिक परीक्षा दोनों में शामिल होना अनिवार्य होगा।हिंदी, अंग्रेजी और पर्यावरण के पर्चे अलग-अलग सेमेस्टर में होंगे
अभी तक आधार पाठ्यक्रम के तहत हिंदी और अंग्रेजी के पर्चे होते थे। साथ ही डिग्री कोर्स के दौरान किसी भी साल में विद्यार्थियों को पर्यावरण का पर्चा देना होता था। अब सेमेस्टर प्रणाली में हिंदी, अंग्रेजी और पर्यावरण के पर्चे अलग-अलग सेमेस्टर में होंगे, लेकिन किसी सेमेस्टर में हिंदी, अंग्रेजी या पर्यावरण के पर्चे लिए जाएंगे, इसकी घोषणा नहीं की गई है। इसके नियम बनाए जा चुके हैं। उसकी घोषणा चुनाव का आचार संहिता हटने के बाद किए जाने की संभावना है। फिलहाल ट्रॉयल बेस पर ऑटोनॉमस कॉलेजों में प्रथम सेमेस्टर में हिंदी, सेकंड में अंग्रेजी, थर्ड और फोर्थ सेमेस्टर में पर्यावरण का पर्चा लिया जा रहा है।