अगर आप कभी नहीं आए बस्तर, तो इन जगहों के बारे में जानकर खुद को यहां आने से रोक नहीं पाएंगे
तैयारियां पूरी कर दी गई हैं
सोमवार को नवमी की शाम जोगी उठाई के बाद रात को मावली परघाव पूजा विधान पूरी होगी। इस कार्यक्रम में राजपरिवार के अलावा अन्य श्रद्धालु शामिल होंगे। बस्तर दशहरा की महत्वपूर्ण रस्म मावली परघाव के लिए रविवार को दंतेवाड़ा से मावली माता की डोली भी निकल गई है। सोमवार को कुटरूबाड़ा के पास माता की डोली का स्वागत किया जाएगा। इसके लिए तैयारियां पूरी कर दी गई हैं।
साल में एक बार खुलता है निशा जात्रा मंदिर
निशा जात्रा मंदिर में खमेश्वरी देवी का वास माना जाता है। यह मंदिर साल में एक बार ही खुलता है। मंदिर के मध्य भाग में तिरछी एक प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के भीतर सभी पूजा-पाठ होते हैं, लेकिन इस मंदिर में बाह्यबलि की प्रथा है। माना जाता है कि इस मंदिर में माता दंतेश्वरी और माता माणिकेश्वरी देवी का निवास है। प्रवेश करवाया गया।