तंत्र साधना सिद्धि का विशेष समय: गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से साधकों और अघोरियों के तंत्र-मंत्र की सिद्धि पाने का विशेष समय होता है। मान्यता है कि यह पूजा जितना गुप्त होगी उतनी ही जल्दी साधक की मनोकामना पूरी होती है।
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माघ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली, दूसरे दिन मां तारा, तीसरे दिन मां त्रिपुर सुंदरी, चौथे दिन मां भुवनेश्वरी, पांचवे दिन मां छिन्नमस्तिका, छठे दिन मां त्रिपुर भैरवी, सातवें दिन मां धूमावती, आठवें दिन मां बगलामुखी, नौवें दिन मां मातंगी और दसवें दिन मां कमला की पूजा होती है।
घोड़े पर होगा मातारानी का आगमनज्योतिष दिनेश दास का कहना है कि गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा-अर्चना गुप्त तरीके से की जाती है। इस बार माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ शनिवार को हो रहा है जिसकी वजह से मातारानी का वाहन घोड़ा होगा। जबकि इसका विसर्जन रविवार के दिन होने के कारण मां दुर्गा भैसे पर सवार होकर प्रस्थान करेंगी।
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माघ गुप्त नवरात्रि का मुहूर्त माघ शुक्ल प्रतिपदा तिथि से माघ गुप्त नवरात्रि शुरू होती है। यह नवमी तिथि तक चलती है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष माघ गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी शनिवार से शुरू होगी और समापन 18 फरवरी रविवार को होगा। घट स्थापना का मुहूर्त 10 फरवरी की सुबह 8.45 मिनट से सुबह 10.10 मिनट तक है जबकि कलश स्थापना का अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.13 मिनट से 12.58 मिनट तक है।
मां दुर्गा के घोड़े पर आगमन अशुभ संकेत ज्योतिषाचार्य दिनेश दास ने बताया कि हर नवरात्रि पर दुर्गाजी अलग अलग वाहनों पर सवार होकर धरती पर आती है इस बार उनके आगमन का वाहन घोड़ा है। मातारानी की इस सवारी से आना अशुभ संकेत है। इससे लोगों में भय और युद्ध की प्रबल आशंका है। घर-परिवार में अशांति आएगी। जब मातारानी भैंसे पर विदा होंगी तो लोगों के बिमार होने की संभावना है।