Keshkal Ghat: घाट के सभी मोड़ के पैच को किया जा रहा सीमेंटेड
दरअसल पीडब्ल्यूडी ने निर्माण शुरू होने से पहले देश की सबसे मुश्किल सड़कों का अध्ययन किया था। यह देखा गया कि पहाड़ी इलाके में सड़क लंबे वक्त तक कैसे टिकती हैं। अध्ययन में पाया गया कि वहां पर मोड़ को सबसे मजबूत बनाया जाता है। मोड़ का या तो सीमेंटेड किया जाता है या फिर वहां पर सीमेंटेड ब्लॉक लगाए जाते हैं। अब केशकाल घाट के सभी मोड़ के पैच को सीमेंटेड किया जा रहा है। घाट के मोड़ पर सड़क हैवी व्हीकल की वजह से टूटती थी अब इसका समाधान सीमेंटेड पैच के रूप में ढूंढा गया है। कहा जा रहा है कि अब घाट का सबसे मजबूत हिस्सा उसके सभी दस मोड़ होंगे तो पहले हैवी व्हीकल के दबाव की वजह से टूट जाते थे।
हैवी लोड ट्रैफिक का पूरा ध्यान रखा गया
पीडब्ल्यूडी के इंजीनियर्स इस बात की भी निगरानी कर रहे हैं कि सीमेंटेड पैच को मजबूती मिले। इसके लिए पैच पर लगातार क्यूरिंग करवाई जा रही है। इसी काम की वजह से निर्माण पूरा होने में वक्त लगेगा क्योंकि जब तक अच्छे से क्यूरिंग नहीं की जाएगी सीमेंटेड पैच को मजबूती नहीं मिलेगी। पैच पर बोरियां रखकर पानी छोड़ा जा रहा है ताकि सीमेंटेड पैच को मजबूती मिल सके। पीडब्ल्यूडी के ईई आरके गुरु ने बताया कि इस बार जो सड़क बन रही है उसमें हैवी लोड ट्रैफिक का पूरा ध्यान रखा गया है। इसी वजह से रोड की थिकनेस बढ़ाई गई है। इस बार 4 इंच की लेयरिंग सड़क पर की जा रही है। यानी सड़क पर 4 इंच तक डामर चढ़ाई जा रही है। सड़क की बेस को मजबूत किया जा रहा है। यही कारण है कि पूरी सड़क को पूरी तरह से उखाड़कर उस पर काम किया जा रहा है।
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4.6 किमी के घाट में 10 मोड़, सबसे बुरा हाल मोड़ का
बस्तर को रायपुर से जोडऩे वाले 4.6 किमी के केशकाल घाट में 10 मोड़ पड़ते हैं। इन सभी दस मोड़ की सबसे खराब स्थिति रही है। मोड़ पर ही सड़क पूरी तरह से टूटी जाती थी क्योंकि यहीं पर वाहन टर्न होते हुए ठहरते हैं और इस वजह से सड़क पर लोड बढ़ता है और सडक़ टूटती है। अब जबकि सीमेंटेड पैच तैयार किए जा रहे हैं तो मोड़ पर सडक़ टूटने की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी। बस्तर के इंजीनियर्स ने केशकाल घाट की समस्या का हल ढूंढते हुए पाया कि देश की सबसे मुश्किल सड़कों पर सीमेंटेड पैच का प्रयोग सफल रहा है। उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और नॉर्थ ईस्ट की कई सड़कों पर सीमेंटेड पैच या ब्लॉक मैथेड का उपयोग किया गया है। इंजीनियर्स ने जो प्रस्ताव रायपुर भेजा था उसमें इस बात का उल्लेख भी किया था कि यह प्रयोग कहां-कहां पर सफल रहा है।