इलाके में दस से ज्यादा पर्यटन सपॉर्ट- ज्ञात हो कि, जिले में पहले केशकाल ही अपने जलप्रपातों और प्राकृतिक मनोरम दृश्यों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ था परन्तु अब कोण्डागांव की हस्तशिल्प कलाएं ढोकरा कला, लौह कला, टेराकोटा, तुमा कला। ये सभी पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बन रहा है। जिनसे हस्तशिल्प कारीगरों को भी काफी फायदा हो रहा है। जहाँ पहले इनके हस्तशिल्पों को बाजार में सही दाम नहीं मिल पा रहा था। वही आज ऑनलाइन माध्यमों से पर्यटक खुद उनके घरांे पर आ कर सामान ले जाते हैं, तथा अब इन्हे फ़ोन पर ही आर्डर मिल जाता है।
वर्तमान में पर्यटकों में विशेषतः महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, आँध्रप्रदेश तथा मध्यप्रदेश राज्यों से आते हैं। जिला प्रशासन के अथक प्रयासों से पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कई प्रतोयोगिताएँ एवं आयोजन भी करवाये जा रहे है। जिसमे युवाओं द्वारा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया जाता है। जिले के पर्यटन स्थलों में दस से ज्यादा जलप्रपात, कई प्रागैतिहासिक गुफा शैलचित्र, हिल टॉप व्यू पॉइंट्स, ट्रेकिंग रूट, पांचवी शताब्दी में निर्मित मंदिर, पिकनिक स्पॉट्स, कैंप साईट तथा संस्कृति प्रेमियों के लिए गोटुल संस्कृति, पारंपरिक अदिवासी नृत्य कलाएं आदि शामिल हैं। कोण्डागांव जिले का महत्त्व वर्त्तमान में ही नहीं बल्कि रामायण काल से बताया जाता है तथा उस काल से सम्बंधित कई स्थल भी यहाँ मौजूद है जिन्हें जिला प्रशासन की तरफ से बढ़ावा दिया जा रहा है। इन सभी से अलग यहाँ हर एक स्थल की अपनी एक अलग कहानी और अपनी अलग मान्यताएं भी है जो की इन्हें बाकि अन्य जगहों से अलग बनती है। जानकारों के अनुसार कोंडागांव जिले में पर्यटन स्थलों की बात की जाये तो इनकी संख्या तीस से भी ज्यादा बताई जा रही है जो की अपने आप में एक विशेष बात है।
वर्तमान में पर्यटकों में विशेषतः महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, आँध्रप्रदेश तथा मध्यप्रदेश राज्यों से आते हैं। जिला प्रशासन के अथक प्रयासों से पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने के लिए समय-समय पर कई प्रतोयोगिताएँ एवं आयोजन भी करवाये जा रहे है। जिसमे युवाओं द्वारा बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया जाता है। जिले के पर्यटन स्थलों में दस से ज्यादा जलप्रपात, कई प्रागैतिहासिक गुफा शैलचित्र, हिल टॉप व्यू पॉइंट्स, ट्रेकिंग रूट, पांचवी शताब्दी में निर्मित मंदिर, पिकनिक स्पॉट्स, कैंप साईट तथा संस्कृति प्रेमियों के लिए गोटुल संस्कृति, पारंपरिक अदिवासी नृत्य कलाएं आदि शामिल हैं। कोण्डागांव जिले का महत्त्व वर्त्तमान में ही नहीं बल्कि रामायण काल से बताया जाता है तथा उस काल से सम्बंधित कई स्थल भी यहाँ मौजूद है जिन्हें जिला प्रशासन की तरफ से बढ़ावा दिया जा रहा है। इन सभी से अलग यहाँ हर एक स्थल की अपनी एक अलग कहानी और अपनी अलग मान्यताएं भी है जो की इन्हें बाकि अन्य जगहों से अलग बनती है। जानकारों के अनुसार कोंडागांव जिले में पर्यटन स्थलों की बात की जाये तो इनकी संख्या तीस से भी ज्यादा बताई जा रही है जो की अपने आप में एक विशेष बात है।