scriptबांस की चटाई से बने पुल में कोलाब नदी पार कर पहुँचते है भोलेनाथ के दर्शन करने गुप्तेश्वर | Crossing the river in a bridge made of bamboo mats reaches Gupteshwar | Patrika News
जगदलपुर

बांस की चटाई से बने पुल में कोलाब नदी पार कर पहुँचते है भोलेनाथ के दर्शन करने गुप्तेश्वर

बस्तर की सीमा से लगे ओडिशा के कोरापुट जिले का गुप्तेश्वर धाम शिवरात्रि पर भक्तो की भीड़ से गुलजार रहता है यहां तक जाने के लिए कोलाब नदी पार करनी पड़ती है यहां पुल नही है इसलिए बांस की चटाई बना कर बिछाई जाती है इससे लोग नदी पार कर भोलेनाथ के दर्शन करने गुप्तेश्वर पहुंचते है

जगदलपुरFeb 28, 2022 / 12:47 pm

मनीष गुप्ता

 भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचते है गुप्तेश्वर

बांस की चटाई से बने पुल में कोलाब नदी पार कर पहुँचते है भोलेनाथ के शिवलिंग के दर्शन करने पहुंचते है गुप्तेश्वर

जगदलपुर महाशिवरात्रि पर बस्तर से लाखों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करने ओडिशा के गुप्तेश्वर पहुंचते है यहाँ तक पहुंचने का रास्ता बेहद रोमांचक है इसके लिए पहले जगदलपुर से तिरिया के कोलाब नदी के तट तक अपनी गाड़ी से पहुंचना होता है उसके बाद उफनती नदी को चटाई के अस्थाई पुल से पैदल पार करना होता है नदी पार कर जैसे ही ओडिशा के गुप्तेश्वर पहुंचते है गुफा में भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग स्थापित है जहाँ के बारे में मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से ही अदभुत शांति मिलती है तथा लोगो की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है । शहर से करीब 60 किमी. की दूरी पर स्थित गुप्तेश्वर का सफर बेहद रोमांच भरा है । जगदलपुर से ओडिशा बॉडर धनपुंजी पहुंचे और यहां से माचकोट, तिरिया होते हुए गुप्तेश्वर पहुंचे। माचकोट से ही जंगल शुरू हो जाता है। वहीं तिरिया से 12 किमी. दूर गुप्तेश्वर महादेव है। तिरिया से रोमांचक सफर शुरू हो जाता है। यहां से जंगल की संकरी सड़के और रास्ते के दोनों और साल-सागौन के ऐसे घने जंगल की सूर्य की रोशनी भी यहां तक नहीं आती। इस १२ किमी. के एडवेंचर सफर के बाद आती है चट्टानों पर चिंघाड़ती-दहाड़ती शबरी नदी। यहां तक ही दो पहिया व चार पहिया वाहन से पहुंचा जा सकता है। इसके बाद शबरी नदी पर स्थित विशाल चट्टानों पर बनी बांस की चटाई से होकर नदी पार करना कम रोमांचकारी नहीं है। नदी की चट्टाने कटीली और धारदार हैं। ऐसे में बिना जूते और चप्पल के नदी के उस पार नहीं जा सकते। शबरी नदी और पहाड़ी पर करीब एक से डेढ़ किमी की दूरी पैदल चलने पर गुप्तेश्वर की पहाड़ी का विहंगम दृश्य देखने को मिला। इसके बाद गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन के लिए करीब 150 से अधिक सीढियां चढ़कर मंदिर पहुंचे। यहां पर पहाड़ी के अंदर गुफा में विशालकाय गुप्तेश्वर महादेव का शिवलिंग है। गुप्तेश्वर महादेव के दर्शन के लिए इस रास्ते पर सिर्फ शिवरात्रि और गर्मी के मौसम में ही जा सकते हैं। वहीं ओडिशा के जैपुर से करीब 60 किमी की दूरी तय कर गुप्तेश्वर पहुंचा जा सकता है।
मेले एक लाख से अधिक लोग पहुंचते हैं
गुप्तेश्वर में वैसे तो सालभर श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहता है। वहीं महाशिवरात्रि लाखों भक्त आते हैं। हर साल शिवरात्रि पर चार दिनों को मेला लगता है। शबरी नदी के दोनों ओर मेले के लिए दुकाने सज गई है, तो मंदिर में भी जोरों की तैयारियां चल रही है। मंदिर परिसर में रंग रोगन से लेकर साज-सज्जा तक लगभग सारे काम पूरे हो गए हैं। मंदिर के पुजारियों ने बताया कि महाशिवरात्रि पर ओडिशा, छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों से हर साल एक से डेढ़ लाख भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
चार सौ साल पहले यहां आए थे भोलेनाथ
गुप्तेश्वर महादेव मंदिर को लेकर कई किवदंतियां है। कई लोग कहते हैं कि शिवजी भस्मासुर से बचने के लिए ब्राहम्ण के रूप में यहां शरण लिए थे। वहीं मंदिर के मुख्य पुजारी सदाशिव मिश्रा ने बताया कि १६६५ में भगवान भोलेनाथ लोक लोचन (दुनिया देखने) के लिए आए थे। इस दौरान एक शिकारी ने उन्हें यहां देख लिया। तब से यह मंदिर प्रसिद्ध है। 12 साल पहले मंदिर के चारों ओर वीरान जंगल हुआ करता था। मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढिय़ां भी नहीं थी। जैसे-जैसे मंदिर का प्रचार प्रसार बढ़ रहा है वैसे ही यहां पर भक्तों की संख्या भी बढ़ती जा रही है।

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