राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर अमित मिरी ने बताया कि सीजीएमएससी के संविदा स्टाफ का वेतन को बढ़ाया गया, लेकिन नेशनल हेल्थ मिशन के स्टाफ का तनख्वाह में केवल 5 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। एड्स कंट्रोल सोसायटी के स्टाफ का वेतन भी नहीं बढ़ाया गया है। संविदा चिकित्सक व कर्मियों ने अब नई सरकार के जिम्मेदारों से वेतन विसंगति को लेकर शिकायत की है।
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संविदा डॉक्टर संघ के प्रदेश अध्यक्ष व राष्ट्रीय हेल्थ मिशन के संभागीय अध्यक्ष डॉक्टर देवकांत चतुर्वेदी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के दोनों एजेंसियों में 14 हजार से ज्यादा संविदा स्टाफ है, जिसमें बस्तर संभाग के 3 हजार के करीब कर्मचारी हैं। राज्य की पिछली कांग्रेस सरकार ने संविदा कर्मियों का वेतन बढ़ाने का आदेश जारी किया था। स्वास्थ्य विभाग की अलग-अलग एजेंसियों में सेवाएं देने वाले 14 हजार 930 कर्मी भी इसमें शामिल थे।
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इन कमियों के लिए वित्त विभाग से 110 करोड़ अतिरिक्त बजट स्वीकृत भी कर दिया गया था। शासन का आदेश सभी एजेंसियों को भेज भी दिया गया था, लेकिन वित्त विभाग के एक अफसर ने नेशनल हेल्थ मिशन के स्टाफ के वेतन वृद्धि के लिए प्रस्तुत फाइल में मिशन में वर्ष 2019 में हर साल 5 -5 प्रतिशत वेतन वृद्धि की बात लिख दी।
उन्होंने वर्ष 2019 के बाद हर साल की गई पांच-पांच प्रतिशत वेतन वृद्धि का आंकलन किया और अंत में केवल 5 फीसदी वेतन वृद्धि का प्रस्ताव बनाकर सरकार के जिम्मेदारों के समक्ष पेश कर दिया। शासन ने उस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी। उसके बाद मिशन और एड्स सोसायटी के स्टाफ को केवल 5 फीसदी वेतन वृद्धि का लाभ दिया जा रहा है।