कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के धुड़मारास में कायकिंग और राफ्टिंग की शुरुआत इसी वजह से की गई और इसे लेकर जो शुरुआती रिस्पांस आया है वह सिद्ध करता है कि अब बस्तर में पर्यटन को देखने और दिखाने का तरीका तेजी से बदल रहा है।
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Explore Bastar : दंतेवाड़ा जिले में हांदावाड़ा जल प्रपात तक की ट्रैकिंग, बीजापुर में नंबी तक की रोमांचक यात्रा और केशकाल में टाटामारी का सौंदर्य इसी वजह से निखरा है क्योंकि अब बस्तर में टूरिज्म का ट्रेंड बदला है। देश के बाकी हिस्सों की तरह अब टूरिज्म को नया रूप देने की कोशिश की जा रही है। (BastarAdventures) वन विभाग के एक अफसर बताते हैं कि बस्तर संभाग के पारंपरिक पर्यटन केंद्रों के अलावा जहां भी नया काम या नई थीम दिख रही है उसे लेकर पहले एक कार्य योजना बनाई गई फिर सिलसिलेवार तरीके से उस पर काम किया गया।
पर्यटन समिति के युवाओं को मिला रोजगार का साधनबस्तर संभाग में जहां भी नए पर्यटन केंद्र विकसित किए गए हैं वहां पर जिला प्रशासन ने पर्यटन समिति बनाई है। यह समितियां एक अर्थव्यवस्था को संचालित कर रही हैं। (BastarVibes) पार्किंग शुल्क के अलावा अन्य आय के साधनों से समिति से जुड़े युवाओं को रोजगार मिल रहा है। समितियों के युवाओं को जिला प्रशासन ने इसके लिए विशेष रूप से ट्रेंड भी किया है। कई स्थान पर युवाओं को गाइड की ट्रेनिंग भी दी गई है। दुर्गम पर्यटन केंद्रों तक पर्यटकों के पहुंचने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी मजबूत हो रही है।
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जिले में पर्यटक बस जैसी सुविधा की दरकारबस्तर जिले में पर्यटन को लेकर कई नवाचार हुए हैं, लेकिन यहां पर्यटकों को बस्तर जिले के पर्यटन केंद्रों तक ले जाने के लिए बंद पड़ी पर्यटक बस सुविधा को दोबारा शुरू नहीं किया जा रहा है। पूर्व में यह सेवा शुरू की गई तो इससे बस्तर के बेरोजगार युवाओं को भी जोड़ा गया था।
इससे उन्हें रोजगार भी मिल रहा था लेकिन बाद में यह सेवा ठंडे बस्ते मेूं चली गई। इस सेवा को अगर दोबारा शुरू किया जाए तो पर्यटन सेवा में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। इसी सेवा के तहत पहले लोग मात्र 300 रुपए में बस्तर घूम रहे थे। अब दोबारा अगर यह सेवा शुरू होती है तो बाहर से आने वाले पर्यटक व्यवस्थित तरीके से कम दर में बस्तर के नजारों को करीब से देख पाएंगे।
कांगेर वैली के धुड़मारास में बैम्बू राफ्टिंग और कायकिंग के लिए हर दिन बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।
चित्रकोट में बोटिंग का एडवेंचर और नेचर ट्रेल लुभा रहाचित्रकोट जल प्रपात पर जब इंद्रावती की धार नीचे गिरती है तो इसे उपर से देखकर हर कोई रोमांचित हो उठता है। यही रोमांच प्रपात के नीचे आकर और बढ़ जाता है। प्रपात के नीचे पर्यटन समिति के माध्यम से हर दिन सैकड़ों लोग बोटिंग करते हुए प्रपात के करीब तक पहुंचते हैं। यह पर्यटकों के लिए काफी रोमांचक होता है। इसके अलावा यहां पर बनाए गए नेचर ट्रेल से नीचे की ओर आना भी पर्यटकों को लुभा रहा है। बदलाव की वजह से बढ़ रहे पर्यटकबीते कुछ वर्षों में यह देखने में आ रहा था कि बस्तर आने वाले बाहरी पर्यटकों की संख्या दिनोंदिन कम हो रही थी।
चित्रकोट में बोटिंग का एडवेंचर और नेचर ट्रेल लुभा रहाचित्रकोट जल प्रपात पर जब इंद्रावती की धार नीचे गिरती है तो इसे उपर से देखकर हर कोई रोमांचित हो उठता है। यही रोमांच प्रपात के नीचे आकर और बढ़ जाता है। प्रपात के नीचे पर्यटन समिति के माध्यम से हर दिन सैकड़ों लोग बोटिंग करते हुए प्रपात के करीब तक पहुंचते हैं। यह पर्यटकों के लिए काफी रोमांचक होता है। इसके अलावा यहां पर बनाए गए नेचर ट्रेल से नीचे की ओर आना भी पर्यटकों को लुभा रहा है। बदलाव की वजह से बढ़ रहे पर्यटकबीते कुछ वर्षों में यह देखने में आ रहा था कि बस्तर आने वाले बाहरी पर्यटकों की संख्या दिनोंदिन कम हो रही थी।
इसका असर बस्तर के पर्यटन उद्योग पर भी पड़ रहा था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए बस्तर समेत अन्य जिलों में काम शुरू किया गया और अब उसका सकारात्मक नतीजा सामने आ रहा है। होम स्टे जैसी पहल की गई, जिसकी सुविधा पहले यहां नहीं थी। इसकी शुरुआत से बाहरी पर्यटक खासकर विदेशी पर्यटक करीब से बस्तर की संस्कृति को समझ पा रहे हैं।