यह भी पढ़ें : कम उम्र में गाठिया का एक कारण अनियमित जीवन शैली भी दरअसल दंतेवाड़ा विधानसभा सीट से भाजपा की प्रबल दावेदार मानी जा रही ओजस्वी भीमा मंडावी को पार्टी ने चुनाव लडऩे टिकट नहीं दिया है। ओजस्वी को टिकट नहीं दिए जाने से भीमा मंडावी के समर्थकों में काफी नाराजगी झलक रही है। ज्ञात हो कि भीमा मंडावी की बीते विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने हत्या तब कर दी थी जब वे भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार करने ग्रामीण इलाकों के दौरे पर थे।
यह भी पढ़ें : बस्तर दशहरा : मागुरमुई पूजा विधान के बाद जोड़े चार पहिए, अब तैयार होगा फूलरथ हमले में मौत होने पर भाजपा ने उनकी शहादत का सम्मान करने की ठानी थी। भीमा मंडावी की शहादत के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल को उठाने व उन्हें एकजूट बनाए रखने उनकी पत्नी ओजस्वी मंडावी सामने आई थीं। पति की मौत के बाद उन्होंने अपनी मानसिक स्थिति संभालने के साथ ही साथ पार्टी के कार्य की जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। उनकी सक्रियता की वजह से दंतेवाड़ा में पार्टी की पकड़ मजबूत हो चली थी।
यह भी पढ़ें : सहायक आरक्षक की हत्या में शामिल दो नक्सली पकड़ाए उनकी बेटी ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाते कहा है कि क्या पार्टी में किसी की शहादत का कोई मोल नहीं है। मेरे पिता जब सक्रिय थे तब पार्टी उन्हें हाथों हाथ लेती थी, उनकी शहादत के बाद मां ओजस्वी ने पार्टी को एकजूट किया, पर उनकी दावेदारी को दरकिनार कर दिया गया है। इससे यह जाहिर हो रहा है कि मेरे पिता का बलिदान व्यर्थ ही है।