डीके एसजेडसी के सचिव रामन्ना की मौत के बाद सुजाता को डीकेएसजेडसी का प्रभारी बनाया गया था। इसके पश्चात वर्तमान में वह साउथ सब जोनल ब्यूरो की प्रभारी के रुप में कार्यरत थी। सुजाता का अधिकांश समय बस्तर के जंगलों में बीता है। वह तेलंगाना और बंगाल में भी सक्रिय रह चुकी है। बस्तर में तर्रेम थाना के भट्टीगुड़ा, तुमलपाट व मीनागुट्टा के जंगलों में अक्सर देखी जाती थी। वह अपने परिवार की तीसरी बड़ी नक्सली थी, जिसे नक्सलियों का थिंक टैंक माना जाता था। यही कारण है कि उसे नक्सलियों की सर्वोच्च सेंट्रल कमेटी में शामिल किया गया था।
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किशन जी भी केंद्रीय कमेटी का सदस्य था। सुजाता का देवर मालाजुला वेणुगोपाल ऊर्फ भूपति जिसे बस्तर में सोनू के नाम से जाना जाता है। यह भी केंद्रीय कमेटी सदस्य है, जो कि अबूझमाड़ और गढ़चिरौली इलाके में सक्रिय है। थुलथुली मुठभेड़ में यह बाल-बाल बचा था। तेलंगाना पुलिस के सूत्रों ने बताया कि वह बस्तर से अपने घुटने में दर्द का इलाज करवाने महबूबनगर आई थी। लेकिन एसआईबी की सूचना पर पुलिस ने उसे धर दबोचा। बस्तर में साउथ सब जोनल ब्यूरो के अंतर्गत दरभा, दक्षिण बस्तर व पश्चिम बस्तर की तीन डिवीजनल कमेटी आती हैं। इन तीनों की वह प्रभारी थी।महिला नक्सली सुजाता से पूछताछ कर रही है पुलिस
इस मामले में बस्तर पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान को और तेज करने का निर्णय लिया है। पुलिस प्रशासन ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत दें ताकि क्षेत्र में नक्सली प्रभाव को कम किया जा सके। पुलिस अब सुजाता से पूछताछ कर रही है और उसके जरिए नक्सलियों के अन्य नेटवर्क और योजनाओं के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है।नामनक्सल संगठन में सुजाता के कई नाम प्रचलित
नक्सल संगठन में उसके कई नामनक्सल संगठन में सुजाता के कई नाम प्रचलित हैं। उसे पद्मा, कल्पना, सुजाता, सुजातक्का, झांसीबाई कहा जाता है। बंगाल में उसे मैनीबाई के नाम से भी जाना जाता है। 12वीं तक पढ़ी सुजाता अंग्रेजी, हिंदी, बांग्ला, ओडि़या, तेलुगु के साथ गोंडी, हल्बी बोली की जानकार है। पुलिस ने बताया कि वह इलाज के लिए तेलंगाना पहुंची थी, तभी पकड़ी गई। उस पर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ में कुल मिलाकर एक करोड़ रुपये का इनाम था। पुलिस को उससे पूछताछ में नक्सलियों के बारे में बड़ा इनपुट मिलने की उम्मीद है।