यह भी पढ़ें : CG Election 2023 : नाम निर्देशन पत्र लेने और जमा करने की प्रक्रिया शुरू पहले दिन 13 लोगों ने लिया फार्म, एक भी नामांकन दाखिल नहीं कभी यहां नक्सली अपना ट्रेङ्क्षनग कैंप चलाया करते थे। कोलेंगे के बाद जब चांदामेटा में भी फोर्स के कैंप की स्थापना हुई तो नक्सली बैकफुट पर गए और अब उनकी पकड़ इस क्षेत्र में कमजोर हुई है। पिछले साल जब जिला प्रशासन की टीम गांव पहुंची तो गांव के लोगों ने ही गांव में मतदान केंद्र स्थापित करने की मांग की और फिर प्रशासन ने केंद्र स्थापना की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। निर्वाचन आयोग के प्रमुख जब दिल्ली में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर रहे थे तो उन्होंने चांदामेटा का जिक्र किया, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह गांव और यहां इस चुनाव के लिए बना मतदान केंद्र कितना खास है।
गांव में 70 परिवार रहते हैं जिनके 337 वोटर पहली बार वोट डालेंगे। ग्रामीणों का कहना है कि नक्सलियों की धमकी की वजह से उन्होंने कभी अपने करीबी मतदान केंद्र जाकर भी वोट नहीं डाला है। चांदामेटा के ग्रामीण जगदलपुर विधानसभा के लिए डालेंगे वोट चांदामेटा गांव बस्तर जिले का अंतिम गांव है, इसके बाद सुकमा जिले की शुरुआत हो जाती है। गांव के लोग जगदलपुर विधानसभा के वोटर हैं। इस चुनाव से पहले गांव का जो सबसे करीबी मतदान केंद्र था वह आठ किमी दूर था। ग्रामीण बताते हैं कि पहले के चुनावों में नक्सली उन्हें वोट देने पर जान से मारने की धमकी देते थे। इस डर से कोई वोट नहीं डालता था।
यह भी पढ़ें : दूध बांटकर घर लौट रहे बाइक सवार युवक को बस ने रौदा, मौत अब हालात बदले तो युवा से लेकर बुजुर्ग तक ईवीएम का बटन दबाने के लिए उत्सुक हैं। हालांकि उन्हें ईवीएम के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। बताया जा रहा है कि आयोग गांव के लोगों को वोङ्क्षटग की ट्रेङ्क्षनग भी देगा। नौ बच्चों का पिता व नक्सल संगठन छोड़ चुका पांडू भी डालेगा वोट गांव में पहली बार मतदान केंद्र बना तो यहां रह रहे ग्रामीणों की अलग-अलग कहानियां भी सामने आ रही हैं।
यह भी पढ़ें : CG Election 2023 : आज कार्यकर्ताओं को संकल्प दिलाएंगे मुख्यमंत्री, इधर 16 को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की सभा ऐसी ही एक कहानी पांडू की है। पांडू चांदामेटा गांव में ही रहता है और कभी वह नक्सल संगठन में काम किया करता था। 20 साल तक उसने नक्सलियों का साथ दिया। अब वह आत्मसमर्पण कर चुका है। पांडु कभी गांव के लिए बननी वाली सड$क का विरोध किया करता था लेकिन पांडू की पत्नी को जब नौंवे बच्चे के लिए प्रसव पीड़ा हुई तो उसी सड़क से एंबुलेंस पहुंची। पांडू भी अब गांव में हुए बदलाव के साथ है। वह यहां होने वाली वोङ्क्षटग के लिए भी उत्साहित है।
नक्सलियों का समर्थन मजबूरी थी, अब विकास जरूरी चांदामेटा के हर घर से एक व्यक्ति पर नक्सल केस दर्ज है। कुछ साल पहले तक नक्सलियों ने गांव के हर घर से एक व्यक्ति को अपने संगठन में शामिल किया था। कइयों की गिरफ्तारी भी हुई। गांव में हर घर से एक व्यक्ति नक्सल केस में जेल जा चुका है। गांव के पटेलपारा के कई घर ऐसे हैं जहां एक ही परिवार के 2-2 सदस्य नक्सल मामले में जेल काट कर लौटे हैं। पर अब ऐसे हालात नही है। फोर्स के मूवमेंट के बाद बड़े नक्सली लीडर इलाके को छोड़कर भाग चुकें है, तब से यहां शांति है।
यह भी पढ़ें : Navratri Puja 2023 : डोंगरगढ़ मंदिर में रोप-वे की क्षमता बढ़ी, एक घंटे में 500 दर्शनार्थी आना-जाना कर सकेंगे ऐसे ग्रामीण जो जेल गये थे सब के सब बरी हो चुकें हैं और सरकार के साथ मिलकर इलाकें का विकास चाहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि नक्सलियों का समर्थन करना मजबूरी थी। अब विकास जरूरी है। चांदामेटा में कैंप स्थापित होने का ही नतीजा है कि पिछले साल पहली बार यहां आजादी का जश्न मना था। इससे पहले यहां केवल काले झंडे लहराए जाते थे। माहौल बदला, ङ्क्षबदास डालेंगे वोट &अब गांव में डर का माहौल नहीं है। हालात बदले हैं। हम इस चुनाव को लेकर काफी उत्साहित हैं। बिंदास होकर वोट डालेंगे।
पहले की स्थिति को अब गांव में कोई याद नहीं करना चाहता, बदलते वक्त के साथ सब आगे बढ़ रहे हैं। बदुरू रामनागे, ग्रामीण चांदामेटा महिला, युवा और बुजुर्ग उत्साहित &पहली बार गांव में मतदान केंद्र की स्थापना होने से यहां के महिला, युवा और बुजुर्ग उत्साहित हैं। हमारे वोट से किसे कितना फायदा या नुकसान होगा यह तो नहीं पता लेकिन हमें मतदान का मौका मिल रहा है यही काफी है। कौन चुनाव में खड़ा हो रहा है, किसे वोट देना है अभी तय नहीं किया है। लक्ष्मण, ग्रामीण चांदामेटा