बहरहाल देर से ही सही फूल रथ की परिक्रमा पूरी की गई। मां दंतेश्वरी अपने भक्तों का सुख-दुख जानने के लिए फूल रथ पर सवार होकर लगातार अगले पांच दिनों तक नगर भ्रमण करेगी। लगभग 50 घन मीटर लकड़ी से तैयार विशाल रथ को खींचने के लिए फिलहाल 15 गांवों के करीब 400 युवक जगदलपुर पहुंचे हैं। रथ परिक्रमा के पूर्व जिला पुलिस बल के जवानों द्वारा हर्ष फायर कर सलामी दी गई।
शाम को माईजी का छत्र फूल रथ पर चढ़ाया गया और अभिवादन पूर्ण हो जाने के बाद फूल रथ सिरहासार चौक से परिक्रमा के लिए प्रस्थान हुआ। ग्रामीणों ने फूलरथ को खींचकर मावली माता मंदिर की परिक्रमा की। परिक्रमा पश्चात रथ सिंहद्वार के सामने लाकर खड़ा किया गया। यहां अभिवादन के पश्चात मांई जी का छत्र उतार लिया गया। छत्र मंदिर में प्रवेश करें, इसके पूर्व केवट जाति के नाइक घर की सुहागिन स्त्री भावविभोर होकर छत्र की आरती उतार चना लाई न्यौछावर किया। ऐसा माना जाता है कि वे भावनावश माई जी के छत्र का नजर उतारती हैं।
दंतेश्वरी मंदिर के पुजारी उदय चंद्र पाणिग्राही बताते हैं कि मां दंतेश्वरी बस्तरवासियों की आराध्या हैं। पहले माई जी का छत्र लेकर बस्तर महाराजा रथारूढ़ होते थे। अब प्रधान पुजारी कृष्ण कुमार पाढ़ी छत्र लेकर रथ में सवार होते हैं। फूल रथ में माई जी के प्रतिनिधि के रूप छत्र रथारुढ़ किया जाता है।
उन्होंने बताया कि जिस तरह रथयात्रा के मौके पर भगवान जगन्नाथ रथारूढ़ होकर नगर भ्रमण करते हैं ठीक उसी तरह फूल रथ में सवार माता अपने भक्तों का दु:ख दर्द जानने लगातार पांच दिवस नगर भ्रमण करती हैं। अश्विन शुक्ल पक्ष द्वितीया से सप्तमी तक लगातार चार पहियों वाला फूल रथ चलाया जाएगा। चूंकि फूल रथ पर आरूढ़ होने वाले राजा का सिर फूलों से सजा होता था, इसलिए इसे फूल रथ कहा जाता है।