मूलत: भिलाई से प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा ले चुके आकाशादित्य लामा ने छत्तीसगढ़ के बस्तर के पखांजूर में शूटिंग की, इसके बाद फिल्म का कुछ दृश्य खैरागढ़ के संगीत विश्वविद्यालय में फिल्माया गया है। इस फिल्म को दर्शकों द्वारा पूरे देश में अच्छा प्रतिसाद मिल रहा है।
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पूरे देश में बड़ी बजट के फिल्मों के सामने यह फिल्म बेहद ही पसंद की जा रही है। इस फिल्म की छत्तीसगढ़ के आम दर्शकों के बीच भी बेहद चर्चा में हैं। बंगाल विभाजन पर केन्द्रित फिल्म के निर्देशक विभाजन की भयावह तस्वीर के बीच प्रेम के एक अद्भुत ताकत को दिखाना एक चुनौती थी जिसे स्वीकार करके इस फिल्म का निर्माण किया गया। जिसके हर पक्ष को लेकर गंभीर शोध व लेखन कार्य में वे खुद ही जुटे रहे। यह फिल्म दर्शकों को अनुठा अनुभव देने के साथ मनोरंजन करता है। जिस तरह से फिल्म के लोकेशन को लेकर कार्य हुए हैं उसकी बेहद प्रशंसा हो रही है। फिल्म में विभाजन के समय 1947 के कालखंड को दिखाना हम लोगों के लिए सुखद अनुभव है।
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मेरे सपनों का सिनेमा है बंगाल 1947: सुरभि – देश की प्रतिष्ठित भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान की अभिनय विभाग की छात्रा सुरभि श्रीवास्तव इस फिल्म में मुख्य नायिका की तौर पर अपने अभिनय के साथ न्याय किया है। राजनांदगांव की निवासी अभिनेत्री सुरभि एफटीआईआई चयन से पहले थिएटर में सक्रिय थी। उनका कहना है कि इस फिल्म का हिस्सा बनना उनके लिए एक सपना जैसे था।