धूप
इस बाजार में साल के पेड़ों से निकाले जाने वाला धूप भी देखने को मिलता है। इसकी खुशबू काफी अच्छी होती है।
बिकती हैं सांप जैसी दिखने वाली मछली
बस्तर के इस बाजार में सांप जैसी दिखने वाली मछलियां भी बिकती हैं जिसे दुडुम मछली कहते हैं। यह मछली स्वास्थय की दृष्टि से बेहद लाभकारी होती हैं। शरीर में खून बढ़ाने के लिए भी यह बहुत लाभदायक होती है।
रागी, जिसे स्थानीय भाषा में मड़िया कहा जाता है, यह भी इस बाजार में उपलब्ध होता है। मड़िया से पेज और अन्य तरह के पकवान बनाए जाते हैं। सूखा मछली – सुक्सी
सूखा मछली वाले भाग में आपको विभिन्न प्रकार की सुक्सी देखने को मिलेंगी। इनमें चिंगरी, बामहीन, और कई तरह की सुक्सी देखने को मिलेंगी।
महिलाओं द्वारा प्रयोग किय जाने वाला पाउडर, ज्वेलरी, क्रीम, पायल, चूड़ियां, इत्यादि इस हाट बाजार में मिल जाती हैं। इसके अलावा यहां अलग-अलग जनजातियों द्वारा उपयोग किया जाने वाला आदिवासी आभूषण भी मिलता है।
यहाँ के बाजार में बैटरी वाले लाइट, और अन्य तरह की इलेक्ट्रॉनिक सामान भी उपलब्ध होते हैं। देवी देवताओं से जुड़े सामान
बाजार में देवी देवताओं से जुड़े सामान भी उपलब्ध होते हैं। जैसे मूर्ती, पूजा के सामन, घंटी, घुँघरू, तुर्रा(शंख) इत्यादि।
चूँकि बस्तर प्रकृति से जुड़ा हुआ है तो जाहिर सी बात है कि यहाँ किसानी भी होती होगी। ऐसे में यहाँ किसानों के लिए फावड़ा, हंसिया, गैंती, कुल्हाड़ी, कुदाल,
इत्यादि मिलते हैं।
इस बाजार में सूखे अंगूर की भी बिक्री होती है। बता दें कि इन सूखे अंगूरों से शराब बनाई जाती है। सूखा महुआ- बाजार में सूखा महुआ भी बेचा जाता है जिसे ग्रामीण खरीदकर शराब बनाते हैं।
इसके अलावा अन्य बजारों की तरह ही यहाँ हरी सब्जियों की बिक्री होती है। बरबट्टी, धनियां, टमाटर, मिर्च, मुनगा, गोभी, लौकी, कद्दू, सेमी इत्यादि यहाँ मिलते हैं। इसके अतिरिक्त बरसात में यहाँ फुटु, बोड़ा, करील भी बेचे जाते हैं।
यहाँ के बाजारों में देसी शराब यानि महुआ शराब की भी बिक्री होती है। तीखुर- आपने कहीं भी तीखुर का हलवा बिकता नहीं देखा होगा। लेकिन बस्तर के बाजार में तीखुर का हलवा भी बेचा जाता है।