यह भी पढ़ें : कम उम्र में गाठिया का एक कारण अनियमित जीवन शैली भी इसके बाद सात मोंगरी मछली और एक बकरे की बलि चढ़ाई गई। मांगुरमुई पूजा विधान के दौरान नायब कारीगरों के अलावा लोहार और दशहरा समिति के सदस्य मौजूद थे। कारीगर प्रहलाद ने बताया कि लकड़ी काटने से रथ निर्माण तक पूजा पाठ की कई रस्में पूरी की जाती हैं।
यह भी पढ़ें : इनोवा से 9 लाख रूपये बरामद रथ निर्माण में लगने वाले पहिए, एक्सल, पाटा, धार और मांगुरमुई की पूजा होती है। बगैर पूजा के कारिगरों के द्वारा रथ निर्माण आरंभ नहीं किया जाता है। अब पहियों को जोडऩे और उसके ऊपर मांगुरमुई को बैठाने के बाद रथ के ऊपरी हिस्से के लिए लकड़ी काटी जाएगी। जिसके बाद रथ का निर्माण होगा।