OMG: शहर में कल रात हुई साल की सबसे बड़ी चोरी, सैकड़ों ग्रामीणों ने दिया घटना को अंजाम, अब…
राजा कमलचंद भंजदेव ने दिया धन्यवाद
मांझी, चालकी को संबोधित करते हुए कमलचंद्र भंजदेव ने कहा कि इस वर्ष बारिश की वजह से बस्तर दशहरा में भीड़ कम दर्ज की गई। उन्होंने बताया दशहरा में पिछली बार की तरह इस बार भी मुंबई से अश्वों को मंगाकर उनकी पूजा की गई। आप सभी मांझी, चालकियों ने देवी-देवताओं का ध्यान रखा और पर्व को निर्विघ्न संपन्न करवाने महत्वपूर्ण योगदान दिया।
विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरे में इन पांच देवियों को भेजा जाता है न्यौता, खूब होती है आव-भगत
पहले के और अभी के मुरिया दरबार में फर्क
रियासत काल में दशहरे के समापन के अवसर पर मुरिया दरबार का आयोजन राजमहल में ही होता था। इसमें गाँव गाँव से आए माँझी, चालकी, पटेल, मेंबर, मेम्बरिन आदि राजा के समक्ष अपनी समस्याओं को रखा करते थे। राजा उन समस्याओं का निदान किया करता था । आज लोकतंत्र के समय में भी यह परंपरा क़ायम है। बदलाव इतना है की यह कार्यक्रम अब लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुरूप होता है जिसमें शासन प्रशासन के नुमाइंदे मौजूद होते हैं । ग्रामीण उन्हें अपनी समस्याएं बताते हैं और उनका निदान करने की जि़म्मेदारी शासन प्रशासन पर होती है। परम्परागत रूप से राजपरिवार का सदस्य भी यहाँ मौजूद होता है।