Bastar Bandh: बांग्लादेशी घुसपैठिए घुसे…सर्व आदिवासी समाज ने बंद कराया बस्तर, लगाया ये गंभीर आरोप
BASTAR BANDH TRIBAL SOCIETY: बांग्लादेशी घुसपैठिओं के विरोध में बस्तर को आदिवासी समाज ने बंद रखा। इस बंद का व्यापक असर देखने को मिला। जिले के सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। दुकानें भी बंद रही और इस दौरान भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात रहे।
Bastar Bandh: बस्तर पांचवीं अनुसूची प्रभावी क्षेत्र है और यहां पर बांग्लादेशी रोहिंग्या मुस्लिम समुदाय की घुसपैठ लगातार बढ़ रही है। इसके विरोध में शनिवार को छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज ने बस्तर बंद का आह्वान किया था। बंद का समूचे संभाग में मिला-जुला असर दिखा। बस्तर जिला तो स्वस्फूर्त बंद रहा लेकिन बाकी जिलों में इसका आंशिक असर दिखा।
समाज के बस्तर जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप ने बताया कि इस वक्त पूरे संभाग में बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान रह रहे हैं। यह सभी बांग्लादेश से अवैध तरीके से यहां पहुंचे हैं। इनके यहां पहुंचने का सिलसिला लंबे वक्त से जारी है। ये सभी लोग यहां फेरी वाले या अन्य छोटे-मोटे व्यवसाय करते हैं। बताया जा रहा है कि बस्तर संभाग के सभी थाना प्रभारियों को भी इसे लेकर दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
वे भी लगातार संदिग्ध स्थानों की जांच कर रहे हैं। अब तक बस्तर जिले से ही 180 से ज्यादा घुसपैठियों को उनके किराए के मकान से निकाला गया है। पुलिस का कहना है कि शिकायत के आधार पर सभी संदिग्धों के दस्तावेज की जांच की जा रही है। बांग्लादेश के मौजूदा हालात को देखते हुए बस्तर में विरोध तेजी से बढ़ रहा है।
हिन्दू संगठनों की ओर से बताया जा रहा है कि संभाग में किराएदार के रूप में रह रहे घुसपैठिए फर्जी दस्तावेज से यहां पर रह रहे हैं। आधार कार्ड में जन्म तिथि से लेकर पता भी फर्जी होने की आशंका है। इनके आधार कार्ड में अंकित जन्म तिथि एक जनवरी से शुरू हो रहे हैं और पता भी अधिकांश बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश के हैं जिनमें पता सही अथवा गलत है। इसकी जांच आवश्यक है।
Bastar Bandh: कई इलाके में अभी भी हैं काबिज
कुछ हिन्दू संगठनों के हवाले से पता चला है कि अभी भी जगदलपुर समेत संभाग के कई जिलों में बांग्लादेशी रोहिंग्या काबिज हैं। ये शरणार्थी किराएदार के रूप में इस इलाके में अपना कारोबार बढ़ा रहे हैँ। मिलन संघ अध्यक्ष मुताबिक जगदलपुर के आड़ावाल में एक किराएदार के रूप में रहने वाले बांग्लादेशी रोहिंग्या ने बताया था कि वह बांग्लादेश से 5000 हजार रुपए देकर सीमा पार कर यहां तक पहुंचा है। यह लोग छोटे मोटे व्यवसाय के बहाने घर किराए पर लेते हैँ और बाद में मकान खरीद कर अपने पूरा परिवार को बुला कर बस जाते हैं।
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