वर्तमान में एआई तकनीक का इस्तेमाल कर किसी का भी चेहरा लगाकर नकली विडियो बनाया जा सकता है। आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की मदद से बनाये जा रहे इस तरह के वीडियो बहुत ही आसान तरीके से बनाकर वायरल किया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक चुनाव के दौरान इस तरह के तकनीक का इस्तेमाल कर फेंक वीडियो के माध्यम से किसी भी नताओं अथवा व्यक्ति को फर्जी भाषण और अश्लील वीडियों बनाकर बदनाम भी किया जा सकता है।
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कैसे लगाएं पता 1.डीप फेक पर दाढ़ी, मूंछे या मस्सा हटाया या लगाया जा सकता है। यही नहीं बालों के मामले में भी यही होता है। यह नेचुरल या रियल नहीं दिखते। 2. वीडियो में दिखाई दे रहे चेहरे की गाल और माथा पर ज्यादा ध्यान देने से भी डीप फेक का पता लगाया जा सकता है।
3. किसी भी वीडियो के असली या नकली होने के जांच के लिये इसके चेहरे पर बारिकी से ध्यान देने से इसके हेरफेर किये जाने का पता लगाया जा सकता है।
एआई तकनीक के इस्तेमाल से हो सकती है जेल
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एआई तकनीक के इस्तेमाल से हो सकती है जेल
साइबर एक्सपर्ट के मुताबिक इस तरह के तकनीक के गलत इस्तेमाल आपको जेल पहुंचा सकती है। अधिकतर डीप फेक आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग अथवा बदनाम करने की नीयत से किया जाता है। इसे एक गंभीर अपराध माना जाता है और अनजान बनकर किसी भी व्यक्ति अथवा संस्थान से संपर्क करने पर जेल हो सकता है।