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वहीं जिन छात्रों का चौथे साल में 75 प्रतिशत से अधिक अंक होंगे उन्हें ऑनर्स डिग्री के साथ रिसर्च दिया जाएगा। ऐसे में वे पांचवें साल पीजी की जगह डायरेक्ट पीएचडी कर सकते हैं। 75 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले छात्रों को पीजी करना होगा। प्रवेश के एक साल बाद छोडक़र जाता है तो उसे सर्टिफिकेट दिया जाएगा। वहीं दो साल में छोडक़र जाने वाले को डिप्लोमा दिया जाएगा। तीन साल में डिग्री और 4 साल में ऑनर्स की डिग्री मिलेगी।
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अब ऐसे में पाठ्यक्रम तैयार करने वाली कमेटी ने निर्णय लिया है कि जो छात्र एक साल में कोर्स छोडक़र जाएंगे, उन्हें तभी सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जब वे अपने विषय के अनुसार किसी भी इंडस्ट्री में 60 घंटे का इंटर्नशिप करेंगे। अगर वे ये कार्य पूरा नहीं करते हैं तो सर्टिफिकेट या डिप्लोमा नहीं मिलेगा। अब ऐसे में छात्रों को एनईपी के तहत अतिरिक्त विषय पढऩे के साथ-साथ ही फील्ड का ज्ञान भी लेना अनिवार्य कर दिया गया है। जिससे छात्र स्किल्ड हो सकें। सभी कमेटी अपना प्रपोजल उच्च शिक्षा विभाग को 12 अप्रैल को सौंपेगी। इसके बाद अंतिम निर्णय उच्च शिक्षा विभाग लेगा।