जगदलपुर

मेला में अबूझमाड़ की कला संस्कृति की दिखती है झलक

रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ लगता है माता मावली मेला , छत्तीसगढ़, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा के गीतों ने बांधा समा

जगदलपुरMar 01, 2022 / 12:59 am

Kunj Bihari

रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ लगता है माता मावली मेला , छत्तीसगढ़, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा के गीतों ने बांधा समा

नारायणपुर। जिले में आयोजित ऐतिहासिक माता मावली मेला रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ लगता है।
इस मेले का समापन सोमवार को हुए। समापन अवसर पर मुख्य अतिथि हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष एवं विधायक चंदन कश्यप रहे। चन्दन कश्यप ने कहा कि देश दुनिया के लोग अबूझमाड़ को यहां की गौरवशाली परम्परा, कला संस्कृतिक के नाम से जानते हैं। माता मावली मेला बस्तर का सबसे प्राचीन मड़ई-मेलों में से एक है, जिसे लोग एक उत्सव के रूप में मनाते आये हैं। अबूझमाड़ की कला, संस्कृति, रीति-रिवाज को देखने समझने देश-विदेश से सैलानी यहां आते हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष देवनाथ उसेण्डी ने कहा कि कोरोना काल होने के बावजूद जिले में इतनी भव्यता और गरिमामायी ढंग से मेला आयोजित करने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं क्षेत्र के विधायक का हम धन्यवाद करते हैं। उन्होंने कहा कि इस 5 दिवसीय मेले में आम जनता के मनोरंजन के लिए सांस्कृतिक कार्यकमों के आयोजन किये गये, जहां लोगों ने अबूझमाड़ की कला संस्कृति की झलक देखी।
कार्यक्रम को वरिष्ठ अधिवक्ता जेपी देवांगन, पार्षद अमित भद्र ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को जिला प्रशासन द्वारा स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया। आभार प्रदर्शन सहायक आयुक्त आदिवासी विकास संजय चंदेल ने किया। वहीं कार्यक्रम का संचालन शिक्षक एनपी साहू एवं एलएन ठाकुर ने किया।

सुनील सोनी नाईट ने दी शानदार प्रस्तुति
छत्तीसगढ़, हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा के गीतों ने बांधा समा
नारायणपुर। माता मावली मेला में प्रतिदिन रंगारंग कार्यक्रमों की प्रस्तुति हुई। मेले के अंतिम दिन 27 मार्च को सुनील सोनी नाईट दुर्ग के रंगारंग कार्यक्रम के साथ ही माता मावली मेला का समापन हुआ। सुनील सोनी नाईट दुर्ग के कलाकारों ने छत्तीसगढ़ी, हिन्दी, भजन सहित क्षेत्रीय भाषा के गीतों ने समा बांध दिया। सुनील सोनी नाईट के कलाकारों ने कार्यक्रम का शुभारंभ राजकीय गीत अरपा पैरी के धार… के साथ किया। इसके बाद उन्होंने गणेश वंदना, जसगीत, छत्तीसगढ़ी गीतों और पुराने हिन्दी फिल्मों के गानों की एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी, जिसे सुनकर दर्शक देर रात तक झूमते नजर आये।

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