जिला पंचायत से मिली जानकारी के मुताबिक अमृत सरोवर के निर्माण के लिए जिला कार्यक्रम समन्वयक (मनरेगा) को निर्देशित किया गया है। जारी दिशा-निर्देशों में यह रेखांकित है, मिशन अमृत सरोवर में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों की महत्वपूर्ण भूमिका है। कम से कम एक एकड़ क्षेत्रफल में बनाए जाने वाले अमृत सरोवर के लिए चिन्हांकित किए जा रहे गांवों में उन गांवों को प्राथमिकता देनी है जो स्वतंत्रता संग्राम सेनानी या शहीदों से संबंधित हों। तालाब निर्माण के लिए लगभग 10 लाख रुपए का व्यय होगा। तालाब निर्माण में स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा। 75 तालाबों में गांव के अलावा अपनह पहचान खो चुकें शहर के कुछ तालाबों को शामिल किया गया है। तालाबों से गर्मी में भी निस्तारी की सुविधा व आसपास के किसानों को फसल के लिए पानी उपलब्ध हो सकेगा। साथ ही गिरते हुए भूू-जल स्तर में सुधार होगा।
यह तालाब बहुउद्देशीय होंगे बताया जा रहा है, अमृत सरोवर मिशन के तहत बने ये तालाब बहुउद्देशीय होंगे। यानी इसमें कई मकसद हैं। ये तालाब वर्षा जल संरक्षण और भू-जल स्तर को ठीक रखने में मददगार होंगे ही। साथ ही इनको सिंचाई और मछली पालन के काम में भी लिया जाएगा। अमृत सरोवर की आधारशिला रखने के लिए कार्यस्थल पर ही नीम, पीपल और बरगद जैसी प्रजाति के पौधे लगाए जाएंगे। प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस पर यहां ध्वजारोहण होगा।
पद्म पुरस्कार, शहीद सैनिक के परिजन करेंगे शुभारंभ तालाब बन जाने के बाद उसका शुभारंभ भी स्वाधीनता संग्राम सेनानियों या उनके पारिवारिक सदस्यों या आजादी के बाद शहीद हुए सैनिकों के परिजनों या पद्म पुरस्कार के सम्मानितों से कराया जाएगा। यदि अमृत सरोवर के निर्माण के लिए चयनित गांव में ऐसा कोई नागरिक उपलब्ध नहीं है, तो उस ग्राम पंचायत के सबसे वरिष्ठ नागरिक से यह काम कराया जाएगा।
अमृत सरोवर योजना के तहत जिले के 75 तालाबों का जीर्णोद्धार किया जाएगा। सर्वे कर तालाबों को चिन्हांकित किया गया है। स्वतंत्रता सेनानी और शहीदों के गांव को प्राथमिकता दी जाएगी। रोहित व्यास, सीईओ जिपं बस्तर