बिना सीढ़ी तीसरी मंजिल पहुंचा देता है शक्तिभवन
एशिया की बेमिसाल आर्किटेक्चर डिजाइन का जीवंत उदाहरण है जबलपुर स्थित शक्ति भवन। इसका डिजाइन 1989 में मुंबई की तारापुर कंपनी में काम करने वाले दोषी एंड भल्ला ने डिजाइन किया था। उस समय शक्ति भवन की लागत 14 करोड़ 93 लाख आई थी। इसकी खूबियों और डिजाइन और आर्किटेक्चर को देखते हुए 1991 में इसे बेस्ट आर्किटेक्ट इन एशिया का अवार्ड दिया गया था। इसके डिजाइन की खासियत है कि बिना सीढ़ी और स्लोब चढ़े ही आप तीसरी मंजिल पर पहुंच जाते हैं। ये ऊर्जा के साथ पानी को संरक्षित करने का बेहतरीन नमूना भी है।
मप्र हाईकोर्ट जहां की मीनारें बोलती हैं
अंग्रजी शासन काल में आर्किटेक्ट हेनरी इर्विन द्वारा डिजाइन की गई वर्तमान मप्र हाईकोर्ट की बिल्डिंग अपने आप में सबसे अनोखी है। राजा गोकुलदास ने अपने खर्चे पर इसका निर्माण कराया था। इस बिल्डिंग की मीनारें इसकी खूबसूरती को निखारती हैं। कहा जाता है कि हाईकोर्ट की मीनारें व गुंबद ऐसे डिजाइन किए गए हैं कि लगता है वे बोलते हैं। आज भी इसका डिजाइन आर्किटेक्चर्स का ध्यान खींचता है। इस इमारत में टीवी सीरियल की शूटिंग भी हुई है।
यूरोपीय शैली का रॉयल होटल
कभी इंडियन और कुत्तों के लिए बैन रहने वाला विवादित रॉयल होटल एक बेहतरीन आर्किटेक्ट का नमूना है। इतिहासकारों के अनुसार रॉयल होटल 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों द्वारा डिजाइन किया गया था, जो कि पूरी तरह यूरोपीय शैली में बना है। इसका निर्माण राजा गोकुलदास ने करवाया था। इसकी बनावट आज भी लोगों का ध्यान खींच लेती है। वर्तमान में इसे साफ-सुथरा कर राज्य हेरिटेज ने अपने संरक्षण में ले लिया है। इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है।
ये भी हैं कुछ अलग
मदन महल का किला अपने नायाब आर्किटेक्ट के कारण जाना जाता है। एक शिला पर पूरा महल टिका है। इसे रानी दुर्गावती ने बनवाया था। इसकी खासियत है कि यहां से वह पूरे शहर में नजर रख सकती थी। साथ यहां गुफाओं को निर्माण भी हुआ था जिसने दुश्मन से बचने के लिए उपयोग किया जाता था। इसी तरह शहर का शहीद स्मारक भवन अपने आप में नायाब है। अंदर हॉल में की गई कलाकारी देखते ही बनती है। साथ ही कमानिया गेट का डिजाइनिंग भी शानदार है।