कैमरे में ट्रैप हुई तस्वीर
चार माह पहले ट्रिपल आईटीडीएम कैंपस में लगाए गए ट्रैप कैमरे में तेंदुए की तस्वीर आई। जबकि हाल ही में नगर निगम के अधिकारियों ने भी खंदारी जलाशय के समीप तेंदुआ शावकों की तस्वीर ली। वन्य प्राणी विशेषज्ञों के अनुसार वन्य प्राणियों के रहवास क्षेत्र में हस्तक्षेप नुकसानदायक है। जलाशय के चारों ओर भ्रमण की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
1985 में काम शुरू
डुमना नेचर रिजर्व की स्थापना 1985 में हुई, शुरुआत में 10 हेक्टेयर क्षेत्र को पर्यटन के लिए विकसित किया गया था। वर्ष 1987 में नगर निगम की भूमि में वन विभाग ने 1200 हेक्टेयर क्षेत्र को विकसित करना शुरू किया था। फिलहाल नेचर रिजर्व का क्षेत्र 1058 हेक्टेयर है। जहां तेंदुए, चीतल, सांभर, बंदर, लकड़बग्घा, सियार, जंगली ***** सहित विभिन्न प्रजातियों के वन्य प्राणी हैं।
शेड्यूल-एक वन्य प्राणियों की निगरानी नहीं
नगर निगम के डुमना नेचर रिजर्व के प्रबंधन में छह माह से वन विभाग शामिल नहीं है। जबकि शिड्यूल-१ के वन्य प्राणी तेंदुआ और जलाशय में मगरमच्छों का कुनबा है, जिनकी निगरानी जरूरी है।
इनका कहना है
दोनों पर जोखिम
सेवानिवृत्त रेंजर एबी मिश्रा के अनुसार तेंदुआ छिपकर वार करता है। शावक या शिकार के पास हस्तक्षेप, घायल या वृद्धावस्था में होने पर तेंदुआ आदमखोर है। खंदारी जलाशय पर मानवीय हस्तक्षेप बढऩे वन्य प्राणी और इंसान दोनों पर जोखिम है।
पर्यटन क्षेत्र बढ़ाना गलत
कलेक्टर महेश चंद्र चौधरी के अनुसार डुमना नेचर रिजर्व में वन्य प्राणियों के संरक्षित क्षेत्र में पर्यटन बढ़ाना गलत है। वन विभाग और नगर निगम को नोटिस देकर समुचित प्रबंध कराएंगे। जलाशय के किनारे साइकिल ट्रैक पर लोगों को कहां तक जाना चाहिए, इसकी जांच पड़ताल की जाएगी।
वन चौकी नहीं है
डीएफओ एसकेएस तिवारी के अनुसार डुमना नेचर रिजर्व में वन चौकी नहीं है। वन कर्मी को अंदर जाने के लिए गेट पर अनुमति लेनी होती है। वन्य प्राणी मुख्यालय भोपाल को पत्र लिखकर मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे।