पुनर्वास के अभाव में कई जानवरों की चली जाती है जान
जंगली जानवरों के पुनर्वास केंद्र की कमी, उपचार के बाद रखना बड़ी समस्या
प्राकृतिक रहवास में जल्दी होते हैं स्वस्थ
विशेषज्ञों के अनुसार जंगली जानवर के उपचार के दौरान जल्दी स्वस्थ होने के लिए यह आवश्यक है कि जानवर के लिए उनके जैसा ही प्राकृतिक आवास उपलब्ध कराया जाए। इससे उनके स्वास्थ्य में सुधार की क्षमता भी चालीस फीसदी ज्यादा होती है। परिस्थितियों के अभाव में उनके ठीक होने में लंबा वक्त लग जाता है।
यह मामले आए सामने
– कुछ माह पहले दमोह से एक हाथी के उपचार के दौरान रखने में काफी परेशानी हुई। कोई भी जगह न होने के कारण उसे अधारताल स्थित एक मैदान में रखा गया वहीं पर इसका इलाज भी चला।
– मंडला जिले से आए एक लेपर्ड को रखने की समस्या से एसडब्ल्यूएफएच सेंटर को जूझना पड़ा। तेंदुआ को वन विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए एक पिंजरे में रखकर ट्रीटमेंट करना पड़ रहा है। सीमित जगह के चलते तेंदुआ भी मूवमेंट नहीं कर पा रहा था।
– पिछले दिनों खमरिया क्षेत्र में एक चीतल की मौत हो गई। चीतल को किसी अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी। घायल अवस्था में चीतल घंटो कराहता रहा।
– दो माह पूर्व कटंगा में एक बंदर करंट लगने जमीन पर गिरकर घायल हो गया। उसका उपचार वेटरनरी चिकित्सकों से कराया गया।