रेल मंडल में रोजाना 200 कोच तक पहुंची सफाई
सफाई सिस्टम अपडेट हुआ 6 हजार कोचों की सफाई
रेल मंडल में हर माह करीब 6 हजार कोचों की सफाई की जाती है। मैन्यूअल तरीके से कोचों को साफ करने के लिए करीब 70 लाख लीटर पानी की जरूरत रेलवे को होती थी। रेल प्रशासन द्वारा कोचिंग डिपो को अपडेट करने के साथ ही ऑटोमेटिक वॉशिंग सिस्टम अपनाकर एक तरह से जल संरक्षण की दिशा में भी कदम बढाया है। कोचिंग डिपो में पिट लाईन की क्षमता को बढ़ाकर 6 लाईन तक लाया गया है।
सफाई सिस्टम अपडेट हुआ 6 हजार कोचों की सफाई
रेल मंडल में हर माह करीब 6 हजार कोचों की सफाई की जाती है। मैन्यूअल तरीके से कोचों को साफ करने के लिए करीब 70 लाख लीटर पानी की जरूरत रेलवे को होती थी। रेल प्रशासन द्वारा कोचिंग डिपो को अपडेट करने के साथ ही ऑटोमेटिक वॉशिंग सिस्टम अपनाकर एक तरह से जल संरक्षण की दिशा में भी कदम बढाया है। कोचिंग डिपो में पिट लाईन की क्षमता को बढ़ाकर 6 लाईन तक लाया गया है।
रिसाईकिल कर दोबारा उपयोग
जानकारों के अनुसार धुलाई के लिए उपयोग में आने वाले पानी को रेलवे द्वारा ट्रीटमेंट के माध्यम से रिसाइकिल कर दोबारा उपयोग में लाया जा रहा है। करीब 3.5 लाख से 4 लाख लीटर पानी का उपयोग दोबारा हो रहा है। इससे रेल ट्रेक, फर्श की सफाई आदि के लिए किए जा रहा है। वर्तमान में प्रतिदिन करीब 200 कोचों की धुलाई की जा रही है। ट्रेनों की लगातार बढ़ रही संया को देखते हुए यह आंकड़ा दो सौ के पार पहुंचने की संभावना है।
जानकारों के अनुसार धुलाई के लिए उपयोग में आने वाले पानी को रेलवे द्वारा ट्रीटमेंट के माध्यम से रिसाइकिल कर दोबारा उपयोग में लाया जा रहा है। करीब 3.5 लाख से 4 लाख लीटर पानी का उपयोग दोबारा हो रहा है। इससे रेल ट्रेक, फर्श की सफाई आदि के लिए किए जा रहा है। वर्तमान में प्रतिदिन करीब 200 कोचों की धुलाई की जा रही है। ट्रेनों की लगातार बढ़ रही संया को देखते हुए यह आंकड़ा दो सौ के पार पहुंचने की संभावना है।
चार गुना कोच की सफाई
जबलपुर रेल मंडल जोन में सबसे आगे है। भोपाल, कोटा जैसे रेलमंडलों की अपेक्षा जबलपुर में चार गुना कोचों की सफाई की जा रही है। कई बार कोचो की सफाई समय पर न होने से ट्रेनें भी लेट होती है। ऐसे में अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से कोचिंग डिपो को अपडेट किया जा रहा है।
जबलपुर रेल मंडल जोन में सबसे आगे है। भोपाल, कोटा जैसे रेलमंडलों की अपेक्षा जबलपुर में चार गुना कोचों की सफाई की जा रही है। कई बार कोचो की सफाई समय पर न होने से ट्रेनें भी लेट होती है। ऐसे में अत्याधुनिक तकनीक के माध्यम से कोचिंग डिपो को अपडेट किया जा रहा है।
ट्रेनों की संया बढने के साथ ही कोचों की सफाई पर भी दबाव लगातार बढ रहा है। यही वजह है कि कोचिंग डिपो की मैन्यूअल व्यवस्था को मशीनीकृत लगातार अपडेट कर रहे हैं। यही वजह है कि लाखों लीटर पानी को हम बचाने में सफल हुए हैं।
डॉ. मधुर वर्मा, वरिष्ठ वाणिज्यक प्रबंधक रेलवे