क्या था पूरा मामला
पूरा मामला कुछ इस तरह है कि सुप्रीम कोर्ट में पंचायत चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण को रद्द किए जाने के आदेश के बाद बीजेपी नेताओं ने विवेक तन्खा को ओबीसी विरोधी नेता बताया था। दरअसल साल 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी इस दौरान विवेक तन्खा ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पंचायत और निकाय चुनाव में रोटेशन और परिसीमन को लेकर पैरवी की थी। उस वक्त बीजेपी नेताओं ने विवेक तन्खा को ओबीसी विरोधी बताते हुए उनके खिलाफ बयानबाजी की थी। सोशल मीडिया के साथ ही न्यूज चैनलों में भी बयानबाजी की गई थी और इसके बाद विवेक तन्खा ने भी अपनी सफाई देते हुए बयान जारी किया था और मानहानि करने का आरोप लगाते हुए तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और तत्कालीन मंत्री भूपेन्द्र सिंह से सार्वजनिक माफी मांगने की बात कही थी लेकिन तीनों नेताओं ने माफी नहीं मांगी जिसके बाद विवेक तन्खा कोर्ट में उनके खिलाफ 10 करोड़ रुपए का मानहानि केस दायर किया था। जिस पर सुनवाई करते हुए अब एमपी एमएलए कोर्ट जबलपुर ने ये आदेश दिया है।